मनुष्य शरीर ही परमात्मा को जानने का सबसे बड़ा साधन है - महात्मा उदय बाई

बनकिया/मैनपुरी । भक्त समुदाय को सम्बोधित करते हुए महात्मा उदय बाई जी ने कहा कि मनुष्य शरीर ही परमात्मा को जानने का सबसे बड़ा साधन है इसी शरीर में जीते जी ही हम भगवान को जान सकते है। ज़ब-ज़ब धर्म की हानि होती है अर्थात मनुष्य ज़ब अपने लक्ष्य से भटक जाता है तब-तब भगवान साकार रूप में आते है और मनुष्य के अंदर छुपी हुई शक्ति को उसके ह्रदय में जनाकर मनुष्य जीवन को सार्थक करते है। 

मानव उत्थान सेवा समिति के तत्वावधान और पूज्य श्री सतपाल जी महाराज की प्रेरणा से ग्राम बनकिया में तीन दिवसीय महान सत्संग समारोह के समापन पर धर्मनगरी अयोध्या से पधारे महात्मा प्रेमपरागानन्द जी ने कहा कि हम सभी का परम् सौभाग्य है कि हमें समय के सद्गुरु मिले हुए है। भक्त समुदाय को बताया कि आप भी समय के सच्चे की तलाश जरूर करें और उनसे सभी सुखो का जो खान है, सबको भवसागर से पार करने की विधि है उसको जानकर अपना कल्याण करें। 

जिला मैनपुरी क्षेत्रीय प्रभारी महात्मा मालिनी बाई जी ने कहा कि सभी धर्मग्रंथो का जो सार है आज उसी संदेश को देने के लिए यहां अनेक तीर्थं स्थानों से संतगण आये हुए है। महात्मा मालिनी बाई जी ने कहा कि जननी जने तो भक्त जन, या दाता या सुर, नहीं तो जननी बाझ भली, क्यों गवाएं नूर। भारत की नारियों ने अनेक देशभक्तों और महानपुरुषों और भक्तों को जन्म दिया है। धन्य है हमारी यह भारत भूमि। इसलिय आप सभी सबसे पहले शुद्ध आहार पर ध्यान दो। माता-बहनों को आत्म-ज्ञान लेकर भजन-सुमिरन करना चाहिए। जो भी भगवान के नाम का सुमिरन करते हुए भोजन बनाएंगे, तो उस आहार का प्रभाव सभी भोजन करने वालों के ऊपर पड़ता है वही लोग धर्म और सत्य के मार्ग पर चलते है।

मंचासीन महात्मा मिथिलेश बाई जी ने भी अपने सत्संग विचार सभी भक्तों के समक्ष रखा। मंचासीन संत-महात्मागणों सहित अन्य अतिथिगणों का स्वागत श्रीमती सरोज देवी(ग्राम प्रधान बनकिया), ग्राम प्रधानपति और संस्था के वरिष्ठ कार्यकर्ता अनिलेश कुमार, मास्टर श्रीकृष्ण कुमार(मंडल प्रमुख, मानव सेवा दल), रणवीर सिंह, डॉ सुरेश कुमार, रमेश सिंह, विनोद कुमार, शकुंतला देवी, लक्ष्मी देवी, प्रदीप कुमार, ध्रुव कुमार सहित अनेक लोगों नें फूल-मालाओं से स्वागत किया। साथ ही दिल्ली से पधारे भजन गायक कलाकारों का भी फूल-मालाओं से स्वागत किया गया। भजन गायक कलाकारों ने अपने सुमधुर भजनों से सबको लाभान्वित किया। मंच संचालन धुरन्धर चौहान ने किया। आरती-प्रसाद और भंडारे के साथ कार्यक्रम सम्पन्न हुआ। कार्यक्रम प्रातः 11 बजे से प्रारम्भ  सायं 4 बजे चला।