देश के लिये शिक्षक भी सैनिक से कम नही

 












देश के लिये शिक्षक भी सैनिक से कम नही ।

कौन कहता है कि,देश के सैनिक हम नहीं |                                    

चुनाव करवाना भी तो,किसी जंग से कम नहीं||

जिस रोज खबर आयी थी कि ,दिल्ली में चुनाव  हैं |

तय उसी रोज से था कि हमारे ही हाथों मे दारोमदार हैं ||

पहुचें थे पहली ट्रेनिंग मे हम कुछ इस तरह | 

सीखने को बंदूक एक सिपाही पहुंचता हैं जिस तरह||

कोई आया था अपनी माँ को बीमार छोडकर,

कोई भाई की सगाई से मुँह मोड कर |

किसी को डॉक्टर ने बताया आराम था, 

ड्यूटी से मगर किसी को ना कोई विराम था||

साथी मिले जब दूसरी ट्रेनिंग में तो, कुछ हिम्मत सी थी बढ़ी |

अकेले नहीं रहा अब कोई अब , एक टीम थी साथ खड़ी ||

भूल नहीं पाएंगे वो दिन , जब समान था लाना| 

उस किट वितरण के दिन, सूचनाओं से हर कोई था अनजाना ||

बदल चुके थे सबके सेक्टर,वहाँ एक अजब ही हाल था |

तुम्हारा अफसर अब कौन है,टेंट में,सबकी जुबां पर,बस यही सवाल था ||

बारह बजे रिपोर्टिंग का आदेश था जब हुआ |

रिजर्व ड्यूटी से अब तक था जो खुश ,बेहोश तब हुआ ||

लेकर सामान जिस वक़्त हम घर मे आए थे| 

हालत हमारी देख बच्चे भी खिलखिलाये थे ||

फॉर्म समझे ,लिफाफे देखे सब्जियां भी रखी हमने काट कर |

अगले दिन की तैयारी में रात गुज़ारी हम सबने जागकर||

सुबह शुरू हुई थी उस दिन सभी की रात के दो बजे |

पहुचाने को सुरक्षित ड्यूटी पर घर वाले भी चुस्त थे खड़े ||

आखिर दिन आ ही गया अब मतदान वाला |

कोई स्कूल में था, कोई बारातघर मे और हमने तो बीच सड़क टेंट में था डेरा ड़ाला ||

कराना था मतदान हमें किसी भी हालात में |

बचाए रखा EVM को घंटों ओस की बरसात में ||

मतदान कराते दिन बीता और धीरे धीरे जब शाम हुई | 

सामान जमा करने को हर टीम थी तब लाइन में खड़ी ||

पूरी लगन से दिन भर हमने  लिफाफे सजाये थे |

रिसेप्शन टीम को वो बिल्कुल भी पसंद ना आए थे ||

सबकी लगन और मेहनत थी कि चुनाव आखिर संपन्न हो गया |

कुछ सवाल मगर ये चुनाव मेरे मन मे छोड़ गया ||

खबरों में सुनते है भारत का इन्फ्रास्ट्रक्चर हर दिन सुधर रहा |

फिर क्यूँ चुनाव आज भी टेन्टो में हो रहा  ?

बरसों से सुन रहे है भारत का डिजिटलीकरण हो रहा है | 

फिर ये चुनाव आयोग क्यूँ कागजों की गठरी को ढ़ो रहा है ?

इतना खर्च सरकार चुनाव पर करती है |

फिर क्यूँ ड्यूटी सर्टिफिकेट के लिए हर टीम तरसती है ?

जब TA बिल पर हस्ताक्षर करने से हर अधिकारी बचता है |

तो क्यूँ ड्यूटी के लिए कर्मचारी को इतनी दूर फेंकता है ?

महिलाएं सुरक्षित हो हर पल सरकार इस बात से चिंतित है |

ड्यूटी से रात मे छूटी बहनो की असुरक्षा से क्यूँ नहीं कोई विचलित हैं?

पोलिंग टीम का हर सदस्य एक इंसान ही तो होता है |

तो फिर मतदान के दस घंटों के बीच दस मिनट का लंच ब्रेक क्यूँ नहीं होता है?

सरकार के हर काम को कर्मचारी पूरी मुस्तैदी से करता है |

तो उन कामों को करते हुए जरूरी सुविधाओं से वो क्यूँ तरसता है ?

चुनाव तो कई करवाये है आगे भी करवाएंगे |

लेकिन अपने अधिकारों के लिए हम कब आवाज उठाएंगे ?

सब सवालों और परेशानियों  से परे है वो जोश, जो आज भी हममे कम नहीं | 

करवाते रहेंगे हर बार हम चुनाव, भले ही ये किसी जंग से कम नहीं ||

सौजन्य से

रजनी शर्मा

( अध्यापिका )