जुल्म और अत्याचार के खिलाफ आवाज उठाने का नाम ही सिख धर्म है - मनजीत सिंह

गाज़ियाबाद। शहादत का सफर 21 दिसंबर से लेकर 28 दिसंबर तक दशम पिता श्री गुरु गोविंद सिंह जी ने देश धर्म और संस्कृति के लिए पूरा सर्वंश वार दिया।यह कहा श्री गुरु नानक गर्ल्स इंटर कॉलेज के प्रधान सरदार मंजीत सिंह ने।

मुगल शासन में व्याप्त तानाशाही को समाप्त करने व शांति न्याय और देश धर्म की पहरेदारी की खातिर श्री गुरु गोविंद सिंह जी के चारों साहिबजादे व माता गुजर कौर ने बलिदान दिया।

मनजीत सिंह ने कहा 239 साल सिख गुरुओं ने धरती पर लोगों के बीच परमात्मा के  इबादत  सब एक पिता की संतान बराबरी का संदेश के साथ-साथ देश धर्म संस्कृति के लिए शहादते भी दी ।

गुरु गोविंद सिंह जी के दो बड़े साहेबजादे चमकौर के युद्ध में मुगल सेना से लड़ते हुए शहीद हुए बड़ा  साहिबजादा अजीत सिंह उम्र 18 साल जुझार सिंह उम्र 14 साल चमकौर की लड़ाई में शहीद हुए।

दो छोटे साहबजादे जोरावर सिंह फतेह सिंह मुस्लिम धर्म ना कबूलने  से इनकार करने पर सरहिंद के नवाब वजीर खान द्वारा जीवित दीवारों में  चिनवा देने का हुक्म दिया चारों  साहिब जादो ने अपने दादा पंथ के नौवें गुरु गुरु तेग बहादुर जी ने सच्चाई के मार्ग पर चलते बलिदान दिया।

दुनिया के इतिहास में साहिब  जादों की हिम्मत बहादुरी वह बलिदान की कोई बराबरी नहीं मिलती।

केंद्र सरकार द्वारा  साहिब जादो की शहादत को देखते हुए उनकी  वीर गाथा को प्रणाम करते हुए वीर बाल दिवस के रूप में पूरे देश में मनाने का निर्णय लिया गया।

20 दिसंबर रात को दशम पिता श्री गुरु गोविंद सिंह जी ने आनंदपुर साहिब का किला छोड़ दिया माय हिंदू राजाओं द्वारा गाए की कसम खाई गई मुगलों ने कुरान की कसम खाई   किला छोड़ जाओ आपका पीछा नहीं किया जाएगा मगर जैसे ही श्री गुरु गोविंद सिंह जी ने किला छोड़ा तो मुगल सेना ने पीछा किया गुरु गोविंद सिंह जी और बड़े  साहिब जादे कोटला निहंग रोपड़  निहंग खान के यहां रात ठहरे दूसरी तरफ माता गुजर कौर और छोटे साहबजादे कुममें माशकी की  झुग्गी में ठहरे।

22 दिसंबर  को सरसा नदी पर पानी का चढ़ाव ज्यादा था गुरु गोविंद सिंह जी का परिवार तीन हिस्सों में बट गया।

22 दिसंबर को चमकौर के युद्ध दोनों बड़े  साहिब जादे मुगल सेना शेर लड़ते हुए शहीद हुए  इस युद्ध में पांच प्यारों में से भाई मोहकम सिंह हिम्मत सिंह भाई साहब सिंह चमकौर की लड़ाई में शहीद हुए।

छोटे साहबजादे और माता गुजर कौर जी को गंगो ब्राह्मण की शिकायत पर को गिरफ्तार किया गया गनी खान मनी खान के द्वारा माता गुजर कौर जी वह  साहेबजादो  की गिरफ्तारी के बाद उन्हें ठंडे बुर्ज में कैद रखा गया।

25 और 26 दिसंबर को नवाब वजीर खान की कचहरी में साहेबजादो  को पेश किया गया। इस्लाम ना कबूलने  पर जिंदा  दीवारों में  चिनवाने का आदेश दिया। दुनिया में  साहेबजादों की हिम्मत और शहादत की मिसाल नहीं मिलती।

दिल्ली के शाही जल्लाद साशला  वेग  व  वाशल  वेग ने जोरावर सिंह और फतेह सिंह को किले की नींव में खड़ा कर उनके आसपास दीवार जिनवानी शुरू की।

दीवान टोडर मल ने नवाब वजीर खान से छोटे  साहिबजादों एवं माता गुजर कौर जी के अंतिम संस्कार के लिए जमीन मांगी।

4 गज जमीन के लिए  दीवान टोडरमल ने 78000 सोने की मोहरे बिछा कर जमीन खरीदी जिस जमीन पर माता गुजर कौर जी छोटे साहबजादे का संस्कार किया गया।

कॉलेज में शब्द कीर्तन के साथ-साथ बच्चों द्वारा धार्मिक कविता सुनाने का कार्य किया कक्षा सेकंड  हरनीत सिंह कक्षा फर्स्ट की मिस बान खान अलीबा चौहान कक्षा फिफ्थ के जसकिरण कौर अक्षरा लाठिकता दिव्या वाशिका शर्मा खुशी मनीषा हिमानी आदि बच्चों ने धार्मिक कविता का गायन किया बच्चों द्वारा  चित्रकारी भी की गई ड्राइंग एग्जीबिशन भी लगाने का स्कूल में कार्य किया गया कार्यक्रम की समाप्ति पर अरदास और फिर प्रसाद बांटा गया गेम्स का आयोजन भी किया गया पेंटिंग हर्षिता मैं बनाई।

कार्यक्रम का संचालन अलका शर्मा ने किया शब्द कीर्तन गायन कंवलजीत मैडम आदर्श मैडम गुरप्रीत मैडम ।