प्रभु पहिचान परेउ गहि चरना, तो सुख उमा जाई नहि बरना
मुरादनगर। यहां टंकी रोड पर श्री आदर्श रामलीला कमेटी के तत्वाधान में आयोजित रामलीला में बाली वध लीला का मंचन किया गया।
वानर राज सुग्रीव अपने भाई बाली के डर से पर्वत पर रहता था वन में जाते हुए श्री राम और लक्ष्मण को देखकर सुग्रीव के मन में भय उत्पन्न हुआ और उसने हनुमान जी को उन दोनों राजकुमारों के बारे में जानने के लिए भेजा हनुमान जी ब्राह्मण का वेश बनाकर श्री राम और लक्ष्मण के पास पहुंचे और उनसे वन में विचरने का कारण पूछा। भगवान राम ने बताया कि हम अयोध्या नरेश दशरथ जी के पुत्र है और पिता की आज्ञा से वन में आए हैं। वन में राक्षसों ने हमारी पत्नी सीता का हरण कर लिया है, हम खोजते हुए वन में घूम रहे हैं। हनुमान जी ने अपने प्रभु श्री राम को पहचान लिया और उनके चरणों में गिर पड़े। भगवान शंकर पार्वती से कहते हैं उस समय के मिलने वाले सुख का वर्णन नहीं किया जा सकता। फिर हनुमान जी दोनों भाइयों को अपने कंधों पर बैठाकर सुग्रीव के पास ले गए और भगवान राम के साथ मित्रता कराई। भगवान राम ने सुग्रीव से पर्वत पर अकेले रहने का कारण पूछा तो उन्होंने सारी कथा सुना दी। उसी समय भगवान ने बाली को मारने की प्रतिज्ञा की और बाली का वध करके भगवान ने सुग्रीव को किष्किंधा का राज्य सौंपकर लक्ष्मण जी ने उनका राजतिलक कराया। इसके बाद सुग्रीव ने भालू वानरों को सीता माता की खोज करने के लिए विभिन्न दिशाओं में भेजा। सभी भालू और वानरों ने अपना अपना बल बताया लेकिन अंत में हनुमान जी को लंका भेजने का निश्चय किया गया। इस अवसर पर उद्योग व्यापार मंडल के जिलाध्यक्ष एवं पूर्व राज्य मंत्री रामकिशोर अग्रवाल, भाजपा नेता पवन सिंघल, योगेंद्र कुमार गुप्ता लिल्ली, बुद्धप्रकाश गोयल, सुशील कुमार गोयल, उप्र उद्योग व्यापार मंडल के नगराध्यक्ष शहजाद चौधरी, अमित गुप्ता, महेश गोयल, विनोद धनगर, लख्मीचंद सिंघल, अशोक गुप्ता, सुभाष गुप्ता, डी के गुप्ता, दीपक गोयल, अनिल गोयल आदि उपस्थित रहे।