उल्टी गंगा बहा रहा है ग़ाज़ियाबाद नगर निगम

गाज़ियाबाद। आजकल अपने शहर ग़ाज़ियाबाद में एक से बढ़कर एक दिलचस्प कारनामों को अंजाम दिया जा रहा है।ऐसा ही एक अजब-ग़ज़ब कारनामा किया है नगर निगम ने, पुराने शहर के मध्य में स्थित ‘पक्का तालाब’ को नलकूप से भर कर।ग़ौरतलब है कि बारिश का पूरा मौसम गुजरने के बाद भी तालाब में एक बूँद पानी इकट्ठा नहीं हुआ।तब नगर निगम के काबिल अफ़सरों ने इस अनोखी योजना पर अमल किया और भूमिगत जल को खींचकर तालाब में उड़ेल दिया।ज़ोर-शोर से यह भी प्रचारित किया जा रहा है कि तालाब में शीघ्र ही नावें चलवाई जाएँगी और किनारों पर चटपटी चाट का इंतज़ाम कराया जाएगा।इस तरह शहरवासियों को पिकनिक मनाने के लिए शहर से बाहर जाने की ज़हमत नहीं उठाना पड़ेगी।

    दूसरी ओर शहर के पर्यावरणविदों के अनुसार-किसी तालाब या झील की सबसे अहम भूमिका होती है वर्षा जल का संचयन।अपने संग्रह क्षेत्र (कैचमेंट एरिया) में गिरे बारिश के पानी को संग्रहीत कर भूमिगत जल स्रोत में वृद्धि करना।पक्का तालाब के संरक्षण के लिए वर्ष 2008 से प्रयासरत पर्यावरणविद संजय कश्यप एडवोकेट के अनुसार ग़ाज़ियाबाद शहर में भूजल का स्तर बहुत तेज़ी से नीचे गिरता जा रहा है, शहर के कई इलाक़ों में 200 फ़ीट गहराई तक बोरिंग करने पर भी पानी उपलब्ध नहीं हो रहा है।ऐसे में यहां इस तरह का प्रयोग तर्क से परे है।

    ज़िला भूगर्भ जल समिति के सदस्य आकाश वशिष्ठ के अनुसार पानी मानव की ही नहीं, प्रत्येक प्राणी की आवश्यकता है। इसके बगैर जीवन की कल्पना नहीं की जा सकती। प्रकृति बड़ी दयालु है जो हर वर्ष वर्षा के मौसम में नदी, नाले, तालाब, झील आदि को पानी से लबालब भर देती है। यदि हम इनमें एकत्र जल को संजोकर रख सकें, तो यह आने वाले जल-संकट से मुक्ति दिला सकता है। 

     पर्यावरणविद प्रवीण कुमार एडवोकेट ने इस अटपटे प्रयोग पर चिंता ज़ाहिर करते हुए कहा कि यदि तालाब सूखे पड़े रहें तो पेयजल का संकट और गहरा सकता है।तालाब से ही भूमिगत जलस्रोतों में पानी की आवक होती है।कुएँ और ट्यूबवेल में तभी तक पानी आता है जब तक तालाब में पानी होता है।एक तालाब अपने आसपास के कई किलोमीटर क्षेत्र में भूमिगत जलस्रोतों का पोषण करता है। इससे पेयजल व्यवस्था सुगम और सुचारू हो सकती है। वर्षा के जल अथवा बहते पानी को रोककर रखे जाने हेतु तालाबों की भूमिका काफी महत्वपूर्ण है। अन्यथा वर्षा के दिनों में झरने आदि का पानी व्यर्थ में बह जाता है।

    तालाब न केवल इंसान की प्यास बुझाते हैं अपितु पशु-पक्षी भी यहां आकर पानी पीते हैं, इसलिए यह जीवनदायी है। इसके अलावा, किसान अपने खेतों की सिंचाई भी इससे करते हैं। अन्यथा खेत सूखे रह जाएं। तालाबों की बदौलत ही खेत और फसल लहलहा उठती है। आज भी बहुसंख्यक किसान सिंचाई के लिए तालाबों पर ही निर्भर हैं। तालाबों द्वारा सिंचाई करने के कई लाभ हैं। सबसे बड़ी बात तो यह है कि वर्षा के पानी का उचित उपयोग होता है यानी वह बेकार नहीं जाता।