मौज उड़ा रहे जल निगम अधिकारी! ठेकेदार खा रहे मलाई

   प्रयागराज | जल निगम की कार्यप्रणाली एक बार फिर   सवालों के घेरे में है। जहां एक और जल शक्ति मंत्री स्वतंत्र देव सिंह नदी घाटों नालों का मौका मुआयना कर रहे हैं। वहीं दूसरी ओर जल निगम के जिले एवं मंडल के अधिकारी अपना एयर कंडीशन कमरा छोड़ने का नाम नहीं ले रहे हैं। योजना की निगरानी के लिए सरकार द्वारा अलग से संस्था को निगरानी का कार्य भी दिया गया है, कमोबेश यही स्थिति उनकी भी है।

  फतेहपुर जनपद में जल जीवन मिशन के अंतर्गत हर घर जल योजना में अनियमितता का मामला प्रकाश में आया है। आरोप है कि जिले में प्रशासन व जल निगम के अधिकारियों के नाक के तले एक ठेकेदार से दूसरे ठेकेदार, दूसरे से तीसरे को टेंडर का एग्रीमेंट किया जा रहा है। ऐसे में प्रश्न यह है कि कार्य की गुणवत्ता का क्या होगा? किस नियम के तहत इस पूरी प्रक्रिया को संपादित किया जा रहा है?  यदि गुणवत्ता में कोई कमी होती है अथवा कार्य में कोई लापरवाही की जाती है या साइट पर कोई दुर्घटना होती है तो जवाबदेही किसकी तय होगी । 

      ठेकेदारों की इस मनमानी पर सब ने चुप्पी साध रखी है। आरोप तो अभी लगाया जा रहा है कि इस पूरी प्रक्रिया में विभागीय अधिकारियों की भी संलिप्तता है। वरना ऐसी फर्मों के माध्यम से जिले में कभी भी निर्माण कार्य नहीं कराया जाता जिनको पूर्व में इस प्रकार के कार्यो का कोई भी अनुभव नहीं है।  

     पूरे मामले को जल निगम के उच्च अधिकारियों के समक्ष रख दिया गया है। अब जांच वाली बात यह है कि इस पूरे प्रकरण में क्या विभागीय अधिकारियों की भी संलिप्तता है ? अथवा ये पूरा खेल ठेकेदारों द्वारा रचाया  गया है!