गाजियाबाद के नवरत्न जिनसे गाजियाबाद का नाम रोशन हुआ है।1-गुरु पिताजी महाराज 2-सेठ जय प्रकाश 3-हर प्रसाद शास्त्री 4-कुलदीप तलवार 5-से रा यात्री 6- डॉ. कुंअर बेचैन 7-हरिदत्त शर्मा 8-कृष्ण मित्र 9-सुभाष चन्दर।
गाजियाबाद में महानंद मिशन की स्थापना करने वाले गुरु पिताजी महाराज गाजियाबाद में ऐसी शख्सियत थे जिन्होंने इस महानगर में शिक्षा का अलख जगाया।महानंद मिशन सेवा सदन की स्थापना कर महानंद मिशन महाविद्यालय की स्थापना की। ऐसी ही दूसरी शख्सियत सेठ जय प्रकाश थे जिन्होंने विभाजन के बाद आये रिफ्यूजियों के लिए मुकन्द नगर का निर्माण कराया। जिला अस्पताल के लिए जमीन दी।लडके और लड़कियों के लिए सेठ मुकन्द लाल इन्टर कालेज, विद्यावती महाविद्यालय, सुशीला इन्टर कालेज आदि की स्थापना की। गाजियाबाद में देश का सबसे बड़ा अखिल भारतीय कवि सम्मेलन कराने वाले हर प्रसाद शास्त्री भी ऐसी ही शख्सियत थे जिन्होंने गाजियाबाद में साहित्यिक आयोजन की शुरुआत की। उन्हीं के द्वारा गाजियाबाद में हिन्दी भवन का निर्माण कराया गया।यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि हिन्दी भवन के जिस हाल का निर्माण लोगों से चंदा इकट्ठा कर हर प्रसाद शास्त्री जी ने कराया था और जहां उनके जीवन काल में बड़े -बडे आयोजन भी हुए थे उनके निधन के बाद उस हाल का नाम, हाल को वातानुकूलित और स्थाई सीटिंग व्यवस्था कराने वाले परिवार ने हिंदी भवन समिति में अपने चहेतों की बदौलत अपने पिता के नाम करवा लिया। ऐसी ही शख्सियत वरिष्ठ पत्रकार कुलदीप तलवार हैं जो देश के दिग्गज पत्रकारों में शुमार हैं। देश के बड़े लेखकों, शायरों और पत्रकारों के साथ उनका लम्बा सफर रहा है। देश भर में विख्यात कथाकार से रा यात्री को कौन नहीं जानता। उनके लिखे पर अनगिनत शोध हो चुके हैं। प्रख्यात कविवर डॉ. कुंअर बेचैन भी ऐसी शख्सियत थे जिन्होंने देश और विदेश में गाजियाबाद का नाम रोशन किया है। वी एन भातखंडे संगीत महाविद्यालय के संस्थापक पंडित हरि दत्त शर्मा भी गाजियाबाद की ऐसी शख्सियत हैं जिनके संरक्षण में शास्त्रीय संगीत की विभिन्न विधाओं में शिक्षा पाकर उनके शिष्य देश भर में विख्यात हैं। ओज के राष्ट्रीय कवि कृष्ण मित्र भी हमारे नगर की ऐसी ही शख्सियत हैं जिन्हें सुनने के बाद गर्व से हर देश वासी का सीना चौड़ा हो जाता है।हर प्रसाद शास्त्री जी के साथ मिलकर गाजियाबाद में साहित्यिक आयोजन की शुरुआत करने वालों में वह अग्रणी रहे हैं। व्यंग्य लेखन में देश में विख्यात सुभाष चन्दर भी ऐसी ही शख्सियत हैं। व्यंग्य लेखन के देश के सभी सम्मान उन्हें मिल चुके हैं और लगातार मिल रहे हैं। हास्य व्यंग पर लिखे उनके उपन्यासों की लम्बी श्रृंखला है। देश के बड़े प्रकाशकों द्वारा उनकी किताबों के कई संस्करण प्रकाशित हुए हैं।