नैनीताल में माता गर्जिया देवी मन्दिर व श्री हनुमानधाम

 यात्रा वृत्तांत

देवभूमि उत्तराखंड के जिला उधमसिंहनगर स्थित जसपुर नगर में कुछ दिन प्रवास के लिए पत्नी अर्चना शर्मा सहित आया हुआ था तो अचानक यहां के प्रसिद्ध धार्मिक स्थल *माता गर्जिया देवी मन्दिर* व हनुमान जी के एक मात्र विश्व प्रसिद्ध *श्री हनुमानधाम* के दर्शन करने की इच्छा हुई। जो वहां से लगभग 60 किमी दूरी पर स्थित थे।मेजवान जसपुर के प्रसिद्ध दंत चिकित्सक डॉ. निशांत अरोड़ा, उनकी पत्नी दीक्षा अरोड़ा व बच्चों अथर्वा व देव के साथ उनकी कार से पहले काशीपुर पहुंचे जहां से हमारे साथ बब्बल अनेजा,सिमरन अनेजा, राहुल अनेजा व रीमा अनेजा भी अपनी कार से हमारे साथ गये थे। गर्जिया देवी मन्दिर जिसे गिरिजा देवी मंदिर के नाम से भी जाना जाता है उत्तराखंड राज्य के प्रसिद्ध धार्मिक स्थलों में से एक है। माता पार्वती को समर्पित यह मंदिर नैनीताल जिले के सुंदरखाल गांव में स्थित है। जो नैनीताल शहर से 77 किमी व रामनगर से 15 किमी की दूरी पर रानीखेत हाइवे से मात्र 1 किमी दूरी पर  कोसी नदी में स्थित है। इस मंदिर में लक्ष्मीनारायण की एक मूर्ति स्थापित है जिसे 10 वीं सदी का माना जाता है। उसके साथ माता सरस्वती, गणेश जी व भैरव देव की भी मूर्तियां स्थापित हैं। महाभारत कालीन राजा विराट ने कौशिकी ऋषि के साथ माता गर्जिया देवी मन्दिर में आकर उपासना की थी इसलिए यह नदी पुराणों में कौशिकी नदी के नाम से प्रसिद्ध हुई।कौशिकी ऋषि के नाम पर ही इसका नाम कोसी नदी रखा गया।

पौराणिक मान्यताओं के अनुसार गिरिजा देवी गिरिराज हिमालय की पुत्री और भगवान शिव की पत्नी हैं। उनके पिता गिरिराज हिमालय के नाम पर ही इनका नाम गर्जिया देवी रखा गया था। वर्तमान समय में उपटा के जिस टीले पर स्थित है वह कोसी नदी में किसी ऊंचे स्थान से बाढ में बहकर आ रहा था उसे देख भैरव देव उनसे यहीं पर निवास करने का अनुरोध किया था। तभी से माता गर्जिया देवी उसी टीले पर यहां विराजमान हैं। पौराणिक कथाओं के अनुसार एक बार यहां श्री 108 महादेव गिरी महाराज आये थे।वह अपने साथ कुछ मूर्तियां भी लाये थे।जब वह उन मूर्तियों को मंदिर के आसपास के क्षेत्र में स्थापित कर रहे थे तो अचानक उन्हें पास के घने जंगल से शेरों के दहाड़ने की आवाज सुनाई देने लगी। इसे उन्होंने माता का संकेत समझा और इन शेरों के गरजने के आधार पर उन्होंने इस मंदिर का नाम माता गर्जिया देवी रखा। बताया जाता है इससे पूर्व इस मंदिर को उपटा देवी मंदिर कहा जाता था। हम प्रातः 8 बजे वहां पहुंचे थे। मंदिर में दर्शन के लिए अर्धरात्रि के बाद से ही सैकड़ों लोगों की लाइन लगी हुई थी। टीले पर स्थित मंदिर के लिए सीढ़ियां संकरी है। उसमें दो लाइन एक जाने वाले और दूसरी दर्शन कर लौटने वालों की थी। लाइन में लगे श्रद्धालुओं ने बताया कि उन्हें पांच घंटे से अधिक हो गये अभी दर्शन नहीं हुए हैं। दर्शन से पहले कोसी नदी में स्नान कर रहे सैकड़ों लोगों को भी हमने देखा।

यहां से वापस रास्ते में स्थित विश्व प्रसिद्ध श्रीहनुमानधाम को जब जा रहे  थे तो बीच में बैराज के समीप ही सीतामढ़ी का रास्ता दिखा जो  वहां से मात्र 30 किमी दूर था।यह वह स्थान है जहां  सीता माता के पुत्रों लव-कुश का जन्म हुआ था । हमें श्री हनुमानधाम पहुंचना था समय कम होने के कारण हम  सीतामढ़ी नहीं गए। सीधे श्री हनुमानधाम पहुंचे।नैनीताल जिले में रामनगर से सटे अंजनी गांव छोई में निर्माणाधीन श्री हनुमानधाम भारत ही नहीं विश्व का अकेला ऐसा मंदिर है जहां एक साथ बजरंगबली के 9 रूपों और 12 लीलाओं के दर्शन होते हैं। जिसमें हनुमान जी का दिव्य स्वरूप, मां अंजनी के साथ बाल स्वरूप,राम जी के चरणों में दास्य स्वरूप,रामायणी हनुमान, संकीर्तनी हनुमान, पंचमुखी हनुमान,राम लक्ष्मण को कंधे पर लिए पराक्रमी हनुमान व राम सीता को हृदय में लिए राममयी हनुमान है।इसका निर्माण 2011 से प्रारंभ हुआ था जो अनवरत जारी है। शास्त्रों में हनुमानजी के जितने स्वरूपों की चर्चा है उन सभी रूपों को यहां देख सकते हैं। यहां भगवान राम व सीता, मां दुर्गा व शिव परिवार जिसमें शिव व पार्वती, गणेश, कार्तिक व नन्दी की भी मूर्तियां हैं। सभी मूर्तियां इतनी सुंदर है कि एकटक देखते रह जाएंगे। यहां भी नित्य सैकड़ों लोगों की भीड़ लगी रहती है।