मासूम अनुराग की मौत के दोषियों को कैसे मिलेगी सज़ा

मासूम अनुराग की मौत के दोषियो को सजा दिलाने के लिये गाजियाबाद पेरेंट्स एसोसिएशन ने #justice_for_anurag के पोस्टर लिये दो घण्टे तक बैठकर जिलाधिकारी कार्यलय परिसर में न्याय की मांग उठाई जिलाधिकारी एसपी देहात द्वारा  परिजनों के साथ बुलाई गई मीटिंग  में जीपीए की अध्य्क्ष सीमा त्यागी शामिल हुई जीपीए की अध्य्क्ष के सवालों के आगे निरुत्तर हुये अधिकारी ।

जब आम आदमी के साथ कोई घटना होती है तो न्याय मिलने की जटिल प्रक्रिया से साक्षत्कार होता है कैसे शासन प्रशासन रसूखदार लोगो के आगे नतमस्तक होते है और आम आदमी को कमेटी गठित कर न्याय के लिये लंबा समय देकर शोषण किया जाता है एवम न्याय के लिए पीड़ित परिवार को थकाया जाता है सत्ता के हाथों अधिकारी पहले ही कलम की शक्ति को बंधक बनवा देते है जो चाह कर भी रसूखदार दोषियों पर कार्यवाई नही कर पाते और आम आदमी को न्याय के लिए इन बेबस और लाचार अधिकारियों के चक्कर काटने के लिए मजबूर होना पड़ता है और अंत मे धन बल के जोर पर न्याय की हत्या करवा दी जाती है और न्याय कोर्ट कचहरी की शोभा बढ़ाने लगता है शायद आम जन मानस की आत्मा भी अब मर सी गई है जिसे दूसरे व्यक्ति की पीड़ा और दुःख में अपना दर्द महसूस नही होता है इसी का फायदा उठाया जाता है और न्याय का गला घोंट दिया जता है कल भी ऐसा ही हुआ और मासूम अनुराग की मौत के जिम्मेदार दोषियों को सजा की विवेचना करने के लिये पीड़ित परिवार को जिलाअधिकारी द्वारा 45 दिन का समय दे दिया गया । अधिकारियों को पता है कि जितना लंबा समय दिया जाएगा उतनी ही आसानी होगी आम आदमी की याददाश्त बहुत कमजोर होती है 45 दिन में बोर्ड के पेपर भी समाप्त हो जायेगे और स्कूल भी खुल जायेगा परिवार भी सामान्य हो जायेगा और दोषियों को अपने धन बल के सहारे न्याय को प्रभावित करने का समय मिल जाएगा । किसी अधिकारी या प्रदेश सरकार की हिम्मत नही की वो स्कूल के मालिक उमेश मोदी , ट्रांसपोर्ट इंचार्ज , और स्कूल के प्रधानाचार्य के खिलाफ कोई कार्यवाई कर सके । क्योकि न्याय पूंजीपतियों और रसूखदार लोगो के घरों की रखवाली करने वाला चौकीदार बन गया है । अधिकारी थोड़े ऐशो आराम और पैसों के लालच में अपनी अंतरात्मा को ही बेच रहे है और शायद भूल जाते है कि एक दिव्य शक्ति जिसका नाम भगवान है वो सब कुछ देख रही है और जब न्याय करती है तो अच्छे अच्छे धन बल वाले कुछ ही मिनटों में मिट्टी में मिल जाते है आजकल एक और प्रचलन बहुत तेजी से बढ़ रहा है अगर कोई निस्वार्थ भाव से किसी के साथ खड़े होकर मदद करने के लिए प्रयास करता है तो कुछ प्रभावशाली उसे बिना सोचे समझे ही राजनीति शब्द का प्रयोग कर उनके हौसले तोड़ने को भरपूर कोशिश करते है और वो शायद भूल जाते है कि अभी भी सुभाष चंद्र बोस , आजाद भगत सिंग , सुखदेव , राजगरु और रानी लक्ष्मीबाई की आत्मा कुछ लोगों में मौजूद है और ऐसे ही क्रांतिकारियों की  संस्था का नाम है गाज़ियाबाद पेरेंट्स एसोसिएशन जिसके क्रांतिकारी सिपाहियों ने हमेशा हर पीड़ित के दुख को अपना दुख समझ कर अपना सब कुछ दाव पर लगा सघर्ष किया है और करती रहेगी । सच्चाई की आवाज उठाना बहुत कठिन है जो सच्चाई की आवाज उठाते है कुछ लोग उन्हें कभी विरोधी तो कभी राजनीतिक साबित करने  का प्रयास करते है जीपीए पर इन सभी चीजों का कोई प्रभाव नही पड़ता जीपीए के क्रांतिकारी सिपाही बिना किसी दवाब और लोभ लालच के न्याय की आवाज उठाते रहेंगे ।

*विवरण*

जिलाधिकारी  एसएसपी और एसपी देहात द्वारा अनुराग के परिजनों को वार्ता के लिए बुलाया गया था अनुराग के परिजनों ने गाजियाबाद पेरेंट्स एसोसिएशन से मदद की गुहार लगाई और इस न्याय की लड़ाई में साथ देने की अपील की जिस पर गाजियाबाद पेरेंट्स एसोसिएशन की टीम  परिजनों के साथ जिलाधिकारी कार्यलय साथ गई और जिलाधिकारी के साथ वार्ता में जीपीए की अध्य्क्ष सीमा त्यागी शामिल हुई और जीपीए टीम के बाकी सदस्य जिलाधिकारी कार्यलय के बाहर जस्टिस फ़ॉर अनुराग  के लिए मोदी योगी जी सुनो पुकार के पोस्टर के साथ  दोषियों पर कार्यवाई के लिए बैठ गये जिलाधिकारी के साथ परिजनों की लगभग 2 घण्टे तक मीटिंग चली परिजनों और जीपीए द्वारा मजिस्ट्रेट जांच की भी मांग की गई लेकिन जिलाधिकारी द्वारा इनकार कर दिया गया जिलाधिकारी ने कहा कि जांच चल रही है और विवेचना के लिये 45 दिन का समय लगेगा और परिजनों को दोषियों पर कार्यवाई के लिए एक और आश्वाशन दे दिया गया गाजियाबाद पेरेंट्स एसोसिएशन ने  जिलाधिकारी के माध्यम से मुख्यमंत्री को ज्ञापन देकर  निवेदन किया है कि पूरे प्रकरण का सज्ञान लेकर पूरे प्रदेश के निजी स्कूलों के लिए उदहारण सेट करने के लिए दोषियों पर सख्त से सख्त कार्यवाई का आदेश जारी करे। जीपीए के कानूनी सलाहकार अधिवक्ता अशोक गहलोत ने कहा कि  अभिभावकों में इस पूरे प्रकरण को लेकर भारी रोष है और सरकार द्वारा कुछ एक्शन न लेने को लेकर असमंजस भी है । किसी की हत्या हो जाये और अपराधी पक्ष पर कार्यवाही इसीलिए न हो क्योंकि वह रसूखदार हैं और एक ऐसी लाबी से जुड़े हैं जो राजनीतिक गलियारों में तगड़ी पकड़ रखते हैं, तो य़ह दुर्भाग्यपूर्ण है। मृतक छात्र के परिजनों और अभिभावकों की हाथ जोड़ कर विनती है कि सफेदपोश माफियाओं पर करवाई सुनिश्चित कर नीचे दिये 10 बिंदुओं का सज्ञान लें।

1 . प्रकरण में शामिल मालिक, स्कूल के ट्रांसपोर्ट इंचार्ज एवम प्रधानाचार्य को तत्काल प्रभाव से गिरफ्तार कर जेल भेजा जाए। 

2 . स्कूल की मान्यता रद्द करते हुये प्रदेश सरकार द्वारा स्कूल को तत्काल प्रभाव से अपने अधीन लिया जाये।

3.  अनहोनी की स्थिति के लिये बस से जुड़े सभी कर्मचारी और उसमें सवार सभी शिक्षकों को प्राथमिक चिकित्सा का सघन प्रशिक्षण दिया जाए जिसकी नियमित मोक ड्रिल भी हो 

4 . स्कूल परिसर में , बस में अथवा स्कूल ग्राउंड में किसी भी छात्र - छत्राओ के साथ कोई भी दुर्घटना होने पर स्कूल प्रशासन की सीधी जिमेदारी होने का नियम बनाया जाए 

5 . स्कूल बसों में सीसीटीवी कैमरा व जीपीएस  लगाने और उसके पेरेंट्स के मोबाइल एप्पके साथ जोड़ने के आदेश सभी स्कूल को जारी किये जायें और सख्ती से पालन कराया जाये 


6 . स्कूल की बसों के फ़िटनेस और निरिक्षण के लिए परिवहन विभाग की जिम्मेदारी सुनिश्चित की जाये और पालन नही करने पर ठोस कार्यवाई सुनिश्चित किया जाये ।

7. प्रत्येक बस में पैनिक बटन लगाया जाये जिससे कि कोई भी धटना होने पर छात्र - छत्राओ के माता पिता सचेत हो सके।

8. सभी निजी स्कूलों द्वारा जिलाधिकारी, डीएओस और डीएफआरसी द्वारा जारी सभी नियमावली का अक्षरशः पालन न होने पर कठोर दण्ड के प्रावधानों पर सख्ती से क्रियान्वयन हो ।

9. निजी स्कूलों को मानव मूल्यों के प्रति सम्वेदनशील एवं बाजारीकरण से दूर धकेलने के लिये केन्द्र व प्रदेश सरकार द्वारा नयी नीतियों को बनाने एवं लागू करने की प्रक्रिया शुरू हो। 

10. देश के 18 वर्ष से छोटे सभी बच्चों को राष्ट्रीय धरोहर घोषित कर हमारे राष्ट्र के भविष्य को केंद्र और प्रदेश सरकार का विशेष संरक्षण प्राप्त हो। 

जीपीए की अध्य्क्ष सीमा त्यागी और प्रवक्ता विनय कक्कड़ ने कहा कि जीपीए की पूरी टीम परिजनों के  निर्णय के साथ न्याय मिलने तक कंधा से कंधा मिलाकर खड़ी है ।

         सौजन्य से 

   गाजियाबाद पेरेंट्स एसोसिएशन