ध्यान से ही शिव तत्व को प्राप्त किया जा सकता है- महात्मा ज्ञान शब्दानन्द जी

गाजियाबाद । स्थानीय पटेल नगर स्थित माता राजेश्वरी आश्रम में शिवरात्रि के पावन पर्व पर सुविख्यात समाजसेवी  एवम आध्यात्मिक गुरु श्री सतपाल जी महाराज  के आत्मानुभवी शिष्य पूज्य महात्मा ज्ञानशब्दानन्द जी ने उपस्थित श्रद्धालुओं को संबोधित करते हुए कहा कि परमात्मा के ध्यान से ही भक्त  शिव तत्व को प्राप्त कर सकता है। उन्होंने कहा कि भगवान शिव ने अपना अनुभव बताते हुए कहा था कि केवल परमात्मा का भजन ही सत्य है और जगत मिथ्या है। इसलिए समय के महापुरुष की शरण में जाकर आत्मज्ञान प्राप्त कर परमात्मा का ध्यान करना चाहिए।

महात्मा जी ने कहा कि बिना सत्संग के भगवान की चर्चा सुनने को नहीं मिलती, बिना भगवान की चर्चा सुने  मोह अर्थात अज्ञान दूर नहीं होता और बिना मोह के दूर हुए कभी भगवान में प्रेम नहीं होता । कंठी माला पहन कर के और तिलक आदि लगाकर के लोग भले यह समझते रहे कि हम भी भक्त हैं तथा हम भी भगवान के प्रेमी हैं किंतु अंदर में क्या हो रहा है, भगवान की याद हो रही है या विषयों की माला फेरी जा रही है, यह वह स्वयं भी जानते हैं।उन्होंने कहा कि हम तो संतो की बातें सुनाते हैं ,उनका तो यही कहना है कि जो लोग संतों की संगत को छोड़कर व्रत, पूजा-पाठ आदि को भक्ति समझ बैठे हैं या बनावटी महात्माओं के पीछे लग कर उन्हें संत समझते हैं वह भारी धोखे में है। महात्मा जी ने आगे कहा कि समय के महापुरुष तत्वज्ञानी सद्गुरु की शरण मे जाकर आत्मज्ञान की दीक्षा लेकर साधना करनी चाहिए,तब ही कल्याण संभव है।

इस अवसर पर आश्रम प्रभारी महात्मा दीपांजलि बाई जी ने कहा कि शिवरात्रि पर्व हमें आत्म जागरण का संदेश देता है क्योंकि जब हम अपनी आत्मा का ध्यान करेंगे तो हमारे मन में व्याप्त विकार समाप्त हो जाएंगे, हमारा मन निर्मल हो जाएगा और हमें अपने परमात्मा का अनुभव होगा। इसके लिए भक्तों को हमेशा सत्संग से जुड़े रहना चाहिए तथा दरबार की सेवा में बढ़-चढ़कर भाग लेना चाहिए, इसी से ही हमारा जीवन परवर्तित हो सकता है। कार्यक्रम से पूर्व संत महात्माओं का माल्यार्पण कर स्वागत करने वालों में प्रमुख के पी सिंह , पवन कुमार शर्मा, विजय कुमार शर्मा, आरके गुप्ता, देशराज ,चरण सिंह, रामकुमार सहित  अन्य कार्यकर्ता गण उपस्थित थे।