हाल ही में सम्पन्न हुए विधानसभा चुनाव में वोट का प्रतिशत एक बार फिर कम रहा। जोकि लगभग 50 से 60 प्रतिशत तक रहा। गाँव देहात में अग़र वोट कम डलें तो माना जा सकता है कि वहाँ जागरूकता का अभाव है लेकिन अगर शहर में वोट कम डले तो समझा जा सकता है कि वोटर अब वोट डालने में कम दिलचस्पी रखता है। वोटर अब ना जाने क्यूँ अपने वोट का मूल्य नहीं समँझ पा रहा है। पढ़ा लिखा समंझदार वर्ग भी मतदान केंद्र तक जाने की हिम्मत नहीं जुटा पा रहा या यूँ कहा जाये कि वो वोट ही नहीं डालना चाहता। शायद वोटर अब जान चुका है की वोट चाहे जिस किसी भी प्रत्याशी को दिया जाये हालात वही जस के तस रहेंगे। चुनाव के दौरान तो सब आम आदमी की तरह वोट माँगते नज़र आ जाते हैं मग़र जिन्हें हम वोट देकर चुनाव जितवा देते हैं वही लोग फिर वीआईपी हो जाते हैं। फ़िर उनसे मिलना मुश्किल ही नहीं नामुमकिन सा हो जाता है। वादे एक से एक बढ़कर किये जाते हैं और पूरा करने के नाम पर सिर्फ आस्वासन दिये जाते हैं। जनता समँझ चुकी है इन नेताओं के हरएक हथकंडों को।यह विचार है अधिवक्ता, लेखक श्री विनोद कुमार 'विनय ' जी के ।
उन्होंने आगे कहा कि माना कि कुछ नेता ऐसे होते हैं जो हमारी उम्मीदों पर खरे नहीं उतरते। मग़र यदि हम अपने वोट का इस्तेमाल नहीं करेंगे तो हर बार ऐसे ही नेता मन्त्री चुने जायँगे जो उम्मीदों पर खरे नहीं उतरते। यदि हम सभी अपने वोट का सही प्रकार से इस्तेमाल करें तो हम अपने नेता मन्त्री को अपने क्षेत्र में कार्य कराने के लिए बाध्य कर सकते हैं।
बड़ी समस्या वोटर लिस्ट की भी है जिसमें बड़ी खामियां हैं। जिसकी ज़िम्मेदारी चुनाव आयोग की है। सिस्टम बिल्कुल भी सही नहीं है। लोगों की वोट लिस्ट से कट जाती है। हर बार वोट डालने वाले की वोट नहीं आती। बिना लिस्ट में नाम के वोटर कार्ड से वोट नहीं डालने दी जाती। हर व्यक्ति इतना समंझदार नहीं है कि वह वोटर लिस्ट चेक कर अपनी वोट देख कर सके कि उसकी वोट है या नहीं। वोट जोड़ने घटाने का काम घर-घर जाकर किया जाना चाहिये। जैसे पोलियो का टीकाकरण किया जाता है। ऐसा करने से वोट प्रतिशत अवश्य बढ़ेगा। वोटर को वोट वाले दिन छुट्टी इसलिए दी जाती है ताकि वो चुनाव के महायज्ञ में आहुति डाल सके। मेरा मानना है कि जो व्यक्ति छुट्टी के बाबजूद वोट नहीं डालता उसे उस दिन का वेतन नहीं दिया जाना चाहिये और उस माह की हर सरकारी सुविधा से भी वंचित कर देना चाहिये।तभी वोट प्रतिशत बढ़ेगा और श्रेष्ठ नेता या मन्त्री ही चुनाव जीत पायेगा।