" डॉ.कुँअर बेचैन-यादों के झरोखों से” कार्यक्रम का हुआ आयोजन

ग़ाज़ियाबाद। रविवार को भारतीय समयानुसार सांय 7 बजे (ऑस्ट्रेलिया समय अनुसार सांय 11:30 बजे एवं न्यूयार्क समय अनुसार प्रात: 9:30 बजे) हरप्रसाद शास्त्री चैरिटेबल ट्रस्ट एवं साहित्य प्रेमी मंडल (दिल्ली) के तत्वावधान में      “डॉ.कुँअर बेचैन-यादों के झरोखों से” कार्यक्रम का आयोजन फेसबुक लाइव के माध्यम से किया गया। इस कार्यक्रम में देश एवं विदेश के सुप्रसिद्ध कवि पद्मश्री सुरेंद्र शर्मा, डॉ. हरि ओम पंवार, डॉ. प्रवीण शुक्ला एवं डॉ. चेतन आनंद जी सम्मिलित हुए। इसी के साथ डॉ. बेचैन जी के परिवार से  सुश्री वंदना कुँअर रायजादा (सुपुत्री), श्री प्रगीत कुँअर  (सुपुत्र) एवं डॉ. भावना कुँअर (पुत्रवधू) भी उपस्थित रहें। कार्यक्रम की अध्यक्षता पद्मश्री सुरेंद्र शर्मा जी की। संचालन डॉ. प्रवीण शुक्ला एवं सुश्री मधु शर्मा, न्यूयार्क ने संयुक्त रूप से किया। प्रारंभ में हरप्रसाद शास्त्री ट्रस्ट के संरक्षक डॉ. सत्य प्रकाश शर्मा ने सभी का स्वागत किया एवं संक्षिप्त में ट्रस्ट के मुख्य उद्देश्यों को रखा। 

कवि चेतन आनंद ने अपने गुरु शिष्य के सम्बन्धों की यादें ताज़ा करते हुए ‘सूखी मिट्टी से कभी मूर्त न कभी बन पायेगी’ कविता के माध्यम से अपने गुरु को भावभीनी श्रद्धांजलि दी। कुँअर जी की बिटिया ने बेहद भावुक होते हुए अपने विवाह पर लिखी कविता ‘बेटियाँ शीतल हवायें हैं’ पढ़ी और पिता की स्मृतियों को नमन किया। पुत्र प्रगीत कुँअर के लिए अस्वस्थता के दौरान अपने पिता से हुए संवादों का ज़िक्र करते हुए आंसुओं को सँभालना मुश्किल हो रहा था। बिलकुल अपने पिता के अंदाज में उन्होंने ‘ज़िन्दगी है एक शिकन रूमाल की’ सुनाई। पुत्रवधू भावना कुँअर ने बेचैन जी को समर्पित भावपूर्ण माहियाँ सुनाई । श्री प्रवीण शुक्ल ने कुँअर जी के लिए लिखी अपनी ग़ज़ल ‘तुम्हारे बारे में जो सोचा तो ये लगा हमको, इलाहाबाद में संगम नहाकर बैठ गये’ सुनाते हुए कुँअर जी को याद किया। आदरणीय हरिओम पंवार जी ने कुँअर जी की कविताओं की समकालीनता व इंक़लाब और विद्रोह की आग की ओर सबका ध्यान आकर्षित किया और अनेकों संस्मरण सुनाये। पद्मश्री श्री सुरेन्द्र शर्मा जी के शब्दों ने ‘अब कौन हाथ पकड़ कर गीत सुनाएगा, आप तो हाथ छुड़ा कर चले गए’ ने सभी को भाव विह्वल कर दिया।

आदरणीय पद्मश्री सुरेंद्र जी, आदरणीय डॉ. हरिओम पंवार एवं डॉ. प्रवीण ने समय समय पर हरप्रसाद शास्त्री जी की भी यादों को याद करते हुए हिन्दी कवि सम्मेलनों में उनके 50 वर्षों के सहयोग एवं हिन्दी प्रचार एवं प्रसार की सराहना करते हुए उनके परिवार द्वारा इस यज्ञ को जारी रखने के लिए साधुवाद एवं शुभकामनाएँ दी ।

अन्त में हरप्रसाद शास्त्री ट्रस्ट के अध्यक्ष श्री जितेन्द्र कुमार ने सभी का आभार प्रकट किया एवं डॉ. बेचैन जी के परिवार को शास्त्री परिवार के 55 वर्षों से भी अधिक के पारिवारिक सम्बन्धों का वास्ता देते हुए विश्वास दिलाया कि इस कठिन समय में एवं भविष्य में शास्त्री परिवार हमेशा उनके साथ खड़ा रहेगा।