बचपन से ही डाले बच्चों में बुजुर्गों के प्रति सम्मान वह सेवा का भाव

 हमारे संस्कार और संस्कृति ने हमेशा से बुजुर्गों का सम्मान करना सिखाया है। बुजुर्ग हमारी विरासत धरोहर है। बदलते परिवेश में हम अपने संस्कार और नैतिक मूल्यों से दूर होते जा रहे हैं। इसका असर हमारे बच्चों और आने वाली पीढ़ियों पर अधिक पड़ेगा ऐसे में ज्ञान और संस्कार का खजाना कहे जाने वाले बुजुर्ग बच्चों को नैतिक मूल्य एवं उनमें संस्कार का बीज डालकर उन्हें बेहतर इंसान बनाने में अपना योगदान देते हैं। बच्चों में बुजुर्गों से मिले संस्कार उन्हें अच्छे और बुरे का फर्क करना बताते हैं। बच्चों में नैतिक मूल्य एवं संस्कार बचपन से ही देने की जरूरत है। बच्चों के साथ बुजुर्ग अधिक से अधिक समय दें साथ ही खेल खेल में उन्हें बड़ों का सम्मान और अच्छे और बुरे के बारे में अवगत कराएं। हमें अपने बच्चों में बचपन से ही बुजुर्गों के सम्मान और सेवा की आदत डालनी चाहिए। यह गुण बच्चों में जीवन पर्यंत रहेंगे तथा आने वाले पीढ़ी भी उनका अनुसरण करेगी तथा अपने बुजुर्गों की सेवा और सम्मान करेगी। आधुनिक युग में बदलते परिवेश में हम देखते हैं कि बच्चे बुजुर्गों से दूर होते जा रहे हैं तथा उनमें बुजुर्गों की सेवा के भाव नहीं हैं। वह केवल अपने में मस्त हैं। यह स्थिति भविष्य के समाज के लिए दुखदाई होगी तथा सम्मानित बुजुर्ग अपने आप को असहाय महसूस करेंगे तथा बच्चों में सेवा व संस्कार के भाव विलुप्त हो जाएंगे। यह स्थिति समाज के लिए बहुत कष्टदाई होगी। इसलिए हमें अभी जागना होगा तथा अपने बच्चों में बचपन से ही बुजुर्गों के मान सम्मान व सेवा की भावना को विकसित करना होगा। जिससे हमारी भारतीय संस्कृति जीवित रह सके तथा हमारे सम्मानित बुजुर्गों की सेवा व सम्मान बना रह सके।

डॉक्टर अमित कुमार