रामदेव के बयान के खिलाफ कोर्ट पहुंचे डाॅक्टरों को अदालत ने अंतरिम राहत देने से इन्कार किया

 नई दिल्ली ।  योग गुरु बाबा रामदेव के बयानों और कोरोनिल पर गलत सूचना फैलाने से रोकने की मांग को लेकर दिल्ली मेडिकल एसोसिएशन (डीएमए) द्वारा दायर याचिका पर दिल्ली हाई कोर्ट ने अहम टिप्पणी की है। न्यायमूर्ति सी हरिशंकर की पीठ ने डीएमए को अंतरिम राहत देने से इन्कार करते हुए कहा कि अदालत का समय बर्बाद करने के बजाए डाॅक्टर महामारी का इलाज खोजने का काम करें। पीठ ने कहा इस तरह के मामले में रामदेव का पक्ष सुने बगैर अंतरिम राहत नहीं दे सकते हैं। पीठ ने रामदेव, ट्विटर, फेसबुक व आस्था चैनल को समन जारी कर तीन सप्ताह में जवाब मांगा है। मामले में अगली सुनवाई 13 जुलाई को होगी।पीठ ने रामदेव को प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से आपत्तिजनक सामग्री प्रकाशित करने (या बनाने) से रोकने के डीएमए के अनुरोध को भी खारिज कर दिया। पीठ ने कहा कि हमें संदेह है कि आप इस मामले को आगे कायम रख सकते हैं। हालांकि, पीठ ने कहा कि बेवकूफ विज्ञान जैसे उनके शब्द संयमित हो सकते हैं और रामदेव की तरफ से पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता राजीव नैय्यर से कहा कि अपने मुवक्किल से कहें कि इस तरह के भडकाउ बयान न दें। नैय्यर ने जवाब में कहा कि निश्चित तौर पर रामदेव अदालत की बात सुनेंगे।डीएमए की तरफ से पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता राजीव दत्ता ने कहा कि रामदेव की टिप्पणी डीएमए के सदस्यों को प्रभावित कर रही है। पीठ ने पूछा कि बयान एसोसिएशन को कैसे प्रभावित कर रहा है। दत्ता ने कहा कि क्योंकि कोरोनिल काेराेना का इलाज नहीं है और यह डाक्टरों के अधिकारों का मुकदमा है। पीठ ने कहा यह अदालत नहीं कह सकती कि कोरोनिल एक इलाज है या नहीं। यह चिकित्सा विशेषज्ञों द्वारा किया जाना है। दत्ता ने कहा कि रामदेव लगातार एलोपैथी को नकली बता रहे हैं और कोरोना के इलाज के रूप में कोरोनिल का झूठा प्रचार कर रहे हैं।