गाज़ियाबाद। पावन चिंतन धारा आश्रम के युवा प्रकल्प युवा अभ्युदय मिशन की ओर से आज अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस की पूर्व संध्या पर 'दीप दान संग नाद योग अभ्यास' कार्यक्रम आयोजित किया गया जिसमे ॐ का नाद स्वर से उच्चारण किया गया, जिसमें नाद योग पर ध्यान केंद्रित किया गया।
डॉ पवन सिन्हा गुरुजी ने कहा कि योग किसी भी व्यक्ति के जीवन का महत्वपूर्ण अंग है जो न केवल उसे शारीरिक रूप से स्वस्थ रखता है बल्कि मानसिक रूप से सुदृढ़ भी बनाता है। योग दो प्रकार के हैं - बहिरंग और अंतरंग। केवल कुछ आसन और व्यायाम कर लेना ही योग नहीं है। व्यायाम करने से केवल शरीर चुस्त दुरुस्त होता है जबकि योग करने से मन ही नहीं आत्मा भी चुस्त दुरुस्त होती है । व्यायाम का सीधा संबंध शरीर से है जबकि योग का आत्मा से है। योग आत्मा के परमात्मा से मिलन मे बड़ा सहायक है। हमारे ऋषियों ने योग को साधन बना यह खोज की कि आत्मा का परमात्मा से क्या संबंध है। जिस प्रकार गर्भ अपने माता से नाल से जुड़ा रहता है उसी प्रकार जन्म लेने के बाद भी वह संबंध सदा बना रहता है । बस यही संबंध आत्मा का परमात्मा से तथा गुरु का शिष्य से होता है। सनातन संस्कृति में बहुत सी खोजे हुई हैं जिसके मूल केवल योग है। कार्यक्रम के अंत मे सभी ने अपने अपने घरों मे दीप प्रज्वलन कर देश की शुभता, समृद्धि एवं शांति के लिय मंगलकामना भी की ।
कार्यक्रम मे पावन चिंतन धारा आश्रम, युवा अभ्युदय मिशन के सदस्यों सहित न्यूयॉर्क, नेपाल, श्रीलंका, सिंगापूर, सहित देश के जम्मू कश्मीर, पंजाब, हरियाणा, हिमाचल, राजस्थान, उत्तरप्रदेश, बिहार, पश्चिम बंगाल, महाराष्ट्र, गुजरात, कर्नाटक, आंध्रप्रदेश, छत्तीसगढ़, उत्तराखंड तथा अन्य राज्यों से भी लोग जुड़े । आश्रम की सचिव आदरणीय गुरु माँ कविता अस्थाना जी, युवा अभ्युदय मिशन के राष्ट्रीय संयोजक गर्वित विज भी मौजूद रहे।