गाजियाबाद। पटेल नगर स्थित माता राजेश्वरी आश्रम में मानव उत्थान सेवा समिति द्वारा आयोजित एक सद्भावना सत्संग में हरिद्वार से पधारे महात्मा ज्ञान शब्दानन्द जी ने कहा कि अध्यात्म ज्ञान से ही समाज में सद्भावना संभव है।उन्होंने कहा कि अध्यात्मज्ञान से ही व्यक्ति की बुराइयां समाप्त होती हैं, जब बुराइयां समाप्त होंगी, तो प्रेम प्रकट होगा, जब मानव से मानव का प्रेम होगा, तब ही समाज में सद्भावना होगी।
महात्मा जी ने गीता तथा रामायण के आधार पर सत्संग प्रवचनों से सभी प्रेमी भक्तों को बड़े ही सरल तरीके से अध्यात्म ज्ञान को समझाने का प्रयास किया। साथ ही आश्रम प्रभारी महात्मा रानी बाईजी व महात्मा दीपांजलि बाईजी ने भी अपने सत्संग प्रवचनों से सभी को ज्ञान प्राप्त करने के लिए प्रेरित किया ।
महात्मा ज्ञान शब्दानन्द जी ने सत्संग में बताया कि एक मनुष्य जीवन ही है, जिसमें हम आसानी से परमपिता परमात्मा का साक्षात्कार कर अपने जीवन को सार्थक बना सकते है, तथा तत्वदर्शी समय के महान पुरुष की शरण मे जाकर हमे उनका सत्संग प्रवचन सुनकर व प्रार्थना कर उनसे उस अद्भुत आत्मज्ञान को प्राप्त कर भजन ध्यान करना चाहिए। साथ ही उन्होंने परमात्मा के सच्चे नाम को एक उधारण देते हुये समझाया कि किसी कागज के टुकड़े पर नाम लिख कर यदि आग जलाई जाए तो नाम जलेगा या आग?यदि आग जलती है तो वो स्वयं ही जल रही है, यदि नाम जल रहा है तो, फिर वे नाम परमात्मा से साक्षात्कार कैसे करा सकता है। अथार्त जिस नाम को हम वेद शास्त्रों में ढूंढ रहे है वे असल में हमारी श्वासों में जो नाम रम रहा है वही हमे परमत्मा से साक्षात्कार करा सकता है।
सभी प्रेमी भक्तों ने महात्मा जी के आशीर्वचनों को ध्यानपूर्वक सुना व समझने का प्रयास किया। तथा सत्संग पश्चात आरती कर सभी प्रसाद वितरण हुआ। इसी के साथ सत्संग का अयोजन समापन किया गया।
सत्संग कार्येक्रम में सभी कार्यकर्ताओं ने राम नरेश, रामदास, मदन गोपाल, राम कुमार, सुनील कुमार, के पी सिंह,विनोद मित्तल,अवधेश मित्तल, राम रत्न,विष्णुदेव, व माताओ बहनो में संगीता पाल, संतोष शर्मा, पूजा शर्मा, श्वेता शर्मा, प्रकाश बहन आदि लोगों ने अपना सहयोग किया।