5 दिवसीय तमिलनाडु धर्मिका यात्रा

गाजियाबाद। 5 दिवसीय यात्रा के चतुर्थ दिवस पर मदुराई तमिलनाडु मे पूज्य गुरूदेव श्रीमहन्त नारायण गिरि जी महाराज श्री दूधेश्वर पीठाधीश्वर गाजियाबाद अन्तर्राष्ट्रीय प्रवक्ता सचिव श्रीपंचदशनाम जूना अखाड़ा ने प्रातः काल मीनाक्षी अम्मा  के दर्शन पूजन किया। तदोपरान्त राजस्थान के प्रवासी भक्तो के उद्योग संस्थान मे जाकर पगलिये करके आशीर्वाद दिया।जिसमे भगवान सिंह भायल जी ,गणपत सिंह भाटी जी,डाया लाल सुथार,विक्रम कुमार प्रजापति ,राजेन्द्र सिंह सोडा,कान सिंह बालावत ,सतीश कुमार राजपुरोहित, बाबुलाल जी राजपुरोहित सहित अन्य भक्तो के दुकान मे जाकर आशीर्वाद दिया । भगवान सिंह भायल पीपलून के घर जाकर भोजन प्रसाद ग्रहण करके समस्त परिवार जनो को आशीर्वाद दिया। महाराज श्री के साथ गोपी अन्ना,मगी अन्ना,संजय राज उपस्थित थे।

  ||  मीनाक्षी अम्मा मन्दिर  का संक्षिप्त परिचय||

 भगवान शिव पृथ्वी पर [सुन्दरेश्वरर] रूप में स्वयं देवी पार्वती पृथ्वी पर [मिनाक्षी] से विवाह रचाने अवतरित हुए। देवी पार्वती ने पूर्व में पाँड्य राजा मलयध्वज, मदुरई के राजा की घोर तपस्या के फलस्वरूप उनके घर में एक पुत्री के रूप में अवतार लिया था। वयस्क होने पर उसने नगर का शासन संभाला। तब भगवान आये और उनसे विवाह प्रस्ताव रखा, जो उन्होंने स्वीकार कर लिया। इस विवाह को विश्व की सबसे बडी़ घटना माना गया। जिसमें लगभग पूरी पृथ्वी के लोग मदुरई में एकत्रित हुए थे। भगवान विष्णु स्वयं, अपने निवास बैकुण्ठ से इस विवाह का संचालन करने आये। ईश्वरीय लीला अनुसार इन्द्र के कारण उनको रास्ते में विलम्ब हो गया। इस बीच विवाह कार्य स्थानीय देवता कूडल अझघ्अर द्वारा संचालित किया गया। बाद में क्रोधित भगवान विष्णु आये और उन्होंने मदुरई शहर में कदापि ना आने की प्रतिज्ञा की। और वे नगर की सीम से लगे एक सुन्दर पर्वत अलगार कोइल में बस गये। बाद में उन्हें अन्य देवताओं द्वारा मनाया गया, एवं उन्होंने मीनाक्षी-सुन्दरेश्वरर का पाणिग्रहण कराया।