नेताजी की जयंती पर "गायन की बंदिशों के नव स्वरूप" पर कार्यशाला हुई

गाजियाबाद।  नेताजी सुभाष चन्द्र बोस जी की 125वीं जयंती के अवसर पर "वी एन भातखंडे संगीत महाविद्यालय" में एक संगीत कार्यशाला आयोजित की गई जिसका विषय था "गायन की बंदिशों के नव स्वरूप"। इस कार्यशाला में लगभग 50 छात्र- छात्राओं ने भाग लिया। महाविद्यालय के अध्यक्ष पंडित श्री हरिदत्त शर्मा  ने दीप प्रज्ज्वलित करके कार्यक्रम का शुभारंभ किया। इसके बाद चैती शर्मा द्वारा राग पूरिया कल्याण में सरस्वती वंदना प्रस्तुत की गई। मोहित कुमार ने राग पूरियां धनाश्री, अनस अहमद ने बिहाग , और पूजा रानी ने भजन "चलो मन जाएं घर अपने" गाकर दर्शकों की खूब तालियां बटोरी।                                                    


विषय विशेषज्ञ पंडित देवेंद्र वर्मा ब्रजरंग ने कहा कि भारतीय संगीत जो कभी मात्र मोक्ष का मार्ग माना जाता था, मध्यकाल में उस संगीत में भक्ति का स्थान श्रृंगार ने ले लिया। आज भी बहुत से रागों में श्रृंगार रस की बंदिशें गाई जाती हैं। आज यदि हम अपनी नई पीढ़ी को भक्ति रस की बंदिशें सुनाएं और सिखाएं तो भारतीय संस्कृति का संरक्षण किया जा सकता है। उन्होंने कई रागों की बंदिशें गाकर छात्रों को भी सिखाईं। वर्मा जी द्वारा लिखित पुस्तक "ब्रजरंग गीतांजलि" का लोकार्पण भी किया गया।


इस अवसर पर गुरूजी पंडित हरिदत्त शर्मा सहित ज्ञानेंद्र शर्मा, कैप्टन बी डी शर्मा, हरिओम शर्मा, नवीन शर्मा, प्रीति त्रिगुणायत आदि भी उपस्थित रहे। संगीत के विद्यार्थियों और संगीत प्रेमियों के लिए यह कार्यशाला बहुत उपयोगी सिद्ध हुई।