किसान सँख्या में बेशक कम हो सरकार हल्के में ना लेवें - चौ० गौरव टिकैत

   गाज़ियाबाद। आज यहाँ यूपी गेट पर भारतीय किसान यूनियन के युवा प्रकोष्ठ के राष्ट्रीय अध्यक्ष चौ० गौरव टिकैत जी ने सभा को संबोधित करते हुए कहा है कि आज इस कृषि प्रधान देश में यह पहला आँदोलन ऐसा है जिसने राजनीति को एक तरफ करके किसानों की आवाज बुलंद करने का काम किया है इस मंच पर आज किसान ऊपर बैठा है और नेता नीचे बैठे हैं।

चौधरी गौरव टिकैत जी ने यह भी कहा है कि इस आँदोलन में अब तक 40 से ज्यादा किसान शहीद हो चुके हैं उनकी शहादत व्यर्थ नहीं जायेगी। उन्होंने अपने स्वर्गीय बाबा जी चौ० महेंद्र सिंह टिकैत जी को याद करते हुए कहा कि बाबा जी कहा करते थे कि हमारा किसान सँख्या में बेशक कम हो सरकार हल्के में ना लेवें। अपनी मूल समस्या के लिये धरातल पर आकर लड़ाई जारी रखता है।

 हमें चाहिए कि असामाजिक तत्वों से होशियार रहें अनर्गल बातें करने वालों से सावधान रहें।मीडिया में बयान देते हुए हमें ध्यान रखना है कि हम भावनाओं में ना बह शाँत मन से मुद्दे सिर्फ मुद्दे की बात करें। 

आज कष्ट है कल परेशानी का फल भी सुखदाई होगा। आज नहीं तो कल सरकार हमारी बात मानेगी। हम में सफल होने का माद्दा होना चाहिए। अपनी बात को मनवाने के लिये लम्बी लड़ाई लड़ने के लिये तैयार रहें।

आज आँदोलन के 35 वें दिन 24 घण्टे के उपवास पर बैठने वाले किसानों की संख्या 11 रही। जिनमें श्री सोहन सिंह , भीम सिंह  ,  सूबेदार चरण सिंह , महेंद्र सिंह , बलदेव सिंह , गुरचरण सिंह  ,  सरदार शोभा सिंह ढिल्लों , जज सिंह , दरकार सिंह , खालसा संदीप सिंह , जगजीत सिंह उपवास पर बैठे हैं।

 इनमें से एक किसान की का बहुत अधिक उच्च रक्तचाप पाया गया। जब डॉक्टर साहब से राष्ट्रीय प्रेस प्रभारी शमशेर राणा ने पूछा कि अभी से इनका रक्तचाप उच्च है कल सुबह तक कड़ाके की सर्दी में 24 घण्टे बीतने पर उनका स्वास्थ्य ज्यादा खराब तो नहीं हो जायेगा कहीं इनकी जान को खतरा ना बन जाये इन्हें किसी तरह उपवास से उठा लें तो 70 वर्षीय किसान उठने को तैयार नहीं हुए तब डॉक्टर साहब ने बताया है कि हम दवाई देने के साथ इनका स्वास्थ्य सामान्य रखने की कोशिश करेंगे। 

हमने पूछा कि भूखे पेट तो दवाई नहीं दी जाती। आप खाली पेट में दवाई देकर रक्तचाप सामान्य कैसे रखेंगे तो डॉक्टर साहब ने सिर झुका कर दूसरे किसान का रक्तचाप जाँचना शुरू कर दिया।

 हमारे किसानों का यह संघर्ष देखकर आज भगवान भी आंसू बहा रहा होगा लेकिन इस सरकार ने अभी तक कोई सुध नहीं ली है। खाली पराली जलाने और बिजली के मुद्दे को लेकर हल्का सा अपना पक्ष रख कर देशवासियों को दिखाना चाहते हैं कि हम किसानों के हितैषी हैं लेकिन किसान किसी भी तरह से तीन बिलों के मुद्दों पर बात किए बिना यहाँ से जाने वाला नहीं है लिहाजा 4 जनवरी को होने वाली अगली वार्ता का इंतजार कर रहे हैं ।