आध्यत्मिक गुरु सतपाल महाराज का जन्मदिन हरदोई के श्रीहंस योग आश्रम में मनाया गया

हरदोई। मानव उत्थान सेवा समिति के प्रेणता व आध्यत्मिक, सामाजिक धार्मिक, गुरु परम् पूज्य सद्गुरु देव श्री सतपाल जी महाराज का जन्मदिन श्री हंस योग आश्रम की शाखा बेहेन्दर में बड़े ही हर्षोल्लास के साथ मनाया गया। इस शुभ अवसर पर सत्संग भजनों का आयोजन किया गया। कार्यक्रम में आये भक्तों ने सुंदर-सुंदर भजनों की प्रस्तुति कर दर्शकों का मन मोहा तथा मौला नगर से आये अनुयायी राम सहाय ने अपने विचारों में बताया कि अंधकार से प्रकाश का उत्सव है, आध्यत्म का ज्ञान कलियुग केवल नाम अधारा सुमिरि-सुमिरि नर उतरहि पारा। आज रामायण हर जगह बैठती है। रामायण को लोग पढ़ते है। पढ़ते ही चले जाते है। मगर रामायण में लिखे गए भवार्थ को कोई नही समझ पा रहा है। अगर भवार्थ को आज समझ ले। तो आज जो संसार मे तेरा मेरी चल रही है, आज सबने देखा होगा कि, जमीन,रुपयों के लिए भाई-भाई की हत्या कर देते है। आज हमारे अंदर एक राम राज्य जैसी भावना होनी चाहिए।बेलई गांव से आये अनुयायी अंगनेलाल ने बताया कि प्रेमी सज्जनों ! एक आदमी पर अदालत में मुकदमा बहुत लंबा खिंच गया। उस पर हत्या का मामला था, कई गवाह थे, कई वकील थे, जो मारा गया वह बड़ा पैसे वाला आदमी था। जिस ने मारा वह भी बडा धनपति और प्रतिष्ठित आदमी था। इसलिए मुकदमा बडा भारी था। कोई तीन साल तक वही हुआ जो अक्सर अदालतों में होता रहता है। सब बातें ही संदिग्ध होती चली गईं  परस्पर विरोधी गवाहों की भीड़ व फाईलों के ढेर बढ़ते गए। आखिर मजिस्ट्रेट भी परेशान हो गया। उसने सोचा कि मामला तो बहुत पेचीदा होता जा रहा है। जैसे घने जंगल से बाहर निकलने का रास्ता ना मिलता हो, वैसी ही दशा हो गई थी। मजिस्ट्रेट ने मुजरिम से ही कहा कि अब बात तुम पर निर्भर हो गई है। तुम सच-सच बता दो ताकि हम निर्णय करदें। आरोपी ने कहा कि अगर यही बात थी तो यह पहले ही पूछ लेनी थी। अब मैं खुद ही उलझ गया हूं। पहले तो मुझे भी भरोसा था की हत्या की है। लेकिन तीन साल तक की अदालती कार्रवाई वकीलों के सवाल जवाब सुन सुनकर अब तो मुझे भी शक होने लग गया है। अब पक्के विश्वास से मैं भी नहीं कह सकता कि हत्या मैंने की है या नहीं। बहुत पहले की बात हो गई है, वह कोई भ्रांति ही रही होगी। आज कल हर आदमी की जिंदगी में ऐसा ही हो रहा है । झूठ को बहुत बार दोहराए जाने पर वह धीरे-धीरे अपनी जड़ जमा लेता है, जब जमी हुई जड़ों पर दूसरे भी भरोसा करने लग जाते हैं, तब तुम भी उनके साथ चल पड़ते हो । फिर तो एक रीति बन जाती है, रिवाज बन जाता है । लेकिन सत्य अलग होकर छुपा रहता है। तभी सतगुरु हमें स्वयं के अध्ययन में उतरने की शिक्षा देते हैं। अपने स्वाध्याय के लिए भजन ध्यान से जोड़ते हैं। अपने ही झूठों के कर्मजाल में जब उतर कर देखोगे, तो तुम्हें आभास होगा सत्य का साथी। यह आभास होते ही कर्मजाल की इस दलदल से तुम पार हो जाओगे। उससे आगे तुम्हें स्वच्छ आनन्द सरोवर मिलेगा। वहां पर सतगुरु तुम्हारा हाथ पकड़ कर नैया को किनारे लगा देंगे। आज इसी समय यानी दुख की घड़ी में आज भगवान को सब याद कर रहे है। कहते है, कि सुख में सुमिरन सब करे दुख में करे न कोई जो सुख में सुमिरन करे तो दुख काहे को होए। जो ब्यक्ति अपने अंदर धारणा बना करके यही रखता है। कि सुख में भी भजन करता है। उस परम पिता परमात्मा को याद करता है। उसके साथ कभी भी कोई बुरा नही होता है। मगर जो कोई सुख होते हुए भी ईश्वर का भजन नही करता है। तो उसके उप्पर किसी न किसी प्रकार से दुख ही दुख आ जाता है। इसी प्रकार भगवान को पाने के लिए उस परमात्मा को देखने के लिए आत्म का ज्ञान होना जरूरी है। आत्म ज्ञान वही मिलेगा सद्गुरु के दरबार मे सद्गुरु प्यारा कहा मिलेगा प्रेमनगर हरिद्वारा में कहते हुए केक काटकर कार्यक्रम का शाम को समापन किया गया। इस मौके पर शिवम गुप्ता अनिल,गुप्ता,ओमप्रकाश गुप्ता, रामस्वरूप,रामलखन मास्टर,रामसिंह,सौम्या गुप्ता,रिंकी गुप्ता,रीता पाल,प्राची गुप्ता,मौजीराम,सुमन गुप्ता,शिल्पी, आदि लोग मौजूद रहे।