पालघर में 'साधुओं' की हत्या पर भी सीबीआइ जांच होनी चाहिए - स्वामी अवधेशानंद गिरि

मुंबई। बॉलीवुड अभिनेता सुशांत सिंह राजपूत मामले की तरह सीबीआइ को इसकी जांच करनी चाहिए। यही धार्मिक संगठन और भक्त चाहते हैं। जांच सीबीआइ को सौंपी जानी चाहिए। जूना अखाड़ा के आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी अवधेशानंद गिरि महाराज ने गुरुवार को कहा है कि पालघर में 'साधुओं' की हत्या पर कोई कार्रवाई नहीं हुई है। न्याय नहीं होने के कारण गुस्सा है। महाराष्ट्र में पालघर के गढ़चिंचले गांव में 16 अप्रैल की रात को जूना अखाड़ा से संबंधित दो संत मॉबलिंचिंग का शिकार हुए थे। ये घटना उस वक्त घटी जब ये दोनों गाड़ी से अपने गुरु की अंत्येष्टि में शामिल होने सूरत जा रहे थे। इस बीच, भीड़ ने दोनों संतों और उनके ड्राइवर को पुलिस के सामने पीट-पीटकर मौत के घाट उतार डाला। बताया जा रहा है कि इन्हें बच्चा चोर समझकर मारा गया।श्रीपंचायती दशनाम् जूनादत्त कहें या जूना अखाड़ा। इस अखाड़े की स्थापना 1145 में उत्तराखंड के कर्णप्रयाग (चमोली) में हुई थी। (भगवान शंकराचार्य के जन्म के हिसाब से इसकी स्थापना विक्रम संवत् 1202 में मानी जाती है)। हरिद्वार में भी इसकी स्थापना का वर्ष यही बताया जाता है। श्रीपंचदशनाम् जूना अखाड़ा नागा साधुओं का सबसे बड़ा अखाड़ा है, जिसे भैरव अखाड़ा भी कहते हैं। इनके ईष्ट देव रुद्रावतार भगवान दत्तात्रेय हैं।जूना अखाड़ा का मुख्यालय केंद्र वाराणसी में बड़ा हनुमान घाट पर है और हरिद्वार में मायादेवी मंदिर पर भी अखाड़े का केंद्र स्थित। नागा संन्यासियों की सबसे अधिक संख्या इसी अखाड़े में है। इस अखाड़े के नागा साधु जब शाही स्नान के लिए बढ़ते हैं, तो मेले में आए श्रद्धालुओं समेत पूरी दुनिया उस अद्भुत दृश्य को देखने के लिए जहां की तहां रुक जाती है। इस समय इसके आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी अवधेशानंद गिरि महाराज हैं।