राफेल विमानों के आने से भारतीय वायुसेना की क्षमता में कई गुना इजाफा

नई दिल्‍ली। दुनिया के सबसे बेहतरीन लड़ाकू विमानों में से एक राफेल बुधवार को अंबाला पहुंचे। पहली खेप में 5 राफेल विमान भारत पहुंचे हैं। 4.5 पीढ़ी का यह विमान अपनी पीढ़ी के विमानों में सबसे आगे है, जो लीबिया और दूसरे स्थानों पर अपने रण कौशल का परिचय दे चुका है।रक्षा विशेषज्ञों का कहना है कि राफेल की तुलना अमेरिकी युद्धक विमान एफ-35 और एफ-22 से की जाती है।बहुआयामी क्षमता वाले राफेल जेट विमानों के आने से भारतीय वायुसेना की क्षमता में कई गुना इजाफा हुआ है। खासकर तब जब पाकिस्तान और चीन जैसे पड़ोसी देशों से भारत लगातार हमले और खतरों का सामना कर रहा है। 4.5 पीढ़ी के इस युद्धक विमानों का भारत को मिलने का यह समय काफी अहम है।                                                                                विशेषज्ञों का कहना है कि भारत के लिए राफेल गेमचेंजर साबित हो सकता है।विशेषज्ञों की मानें तो 36 जेट विमानों के भारतीय वायुसेना में शामिल होने के बाद कोई भी पड़ोसी देश भारत की युद्धक क्षमता का मुकाबला नहीं कर सकेगा।राफेल सभी तरह के युद्धक अभियानों के लिए उपयुक्त है। इससे ना केवल वायु रक्षा के क्षेत्र में भारत को वरिष्ठता हासिल होगी बल्कि सुदूर हवाई हमलों में जमीन को टच करने की जरूरत नहीं पड़ेगी। युद्धपोत पर हमले से लेकर परमाणु हमले के लिए भी उपयुक्त है।इस स्क्वाड्रन की कमान भारतीय वायुसेना के सबसे कुशल फाइटर पायलटों के हाथ में रहने का गौरवशाली अतीत भी रहा है। 1999 के कारगिल युद्ध के दौरान पूर्व वायुसेना प्रमुख बीएस धनोआ ने इस स्क्वाड्रन की कमान संभाली थी। मार्शल ऑफ द एयरफोर्स अर्जन सिंह और यहां तक कि देश के पहले वायुसेनाध्यक्ष एयर मार्शल सुब्रतो मुखर्जी ने भी ग्रुप कैप्टन के रूप में अंबाला एयर बेस की कमान संभाली है।                                                                                                                                          अंबाला एयर बेस रणनीतिक रूप से बेहद महत्वपूर्ण है। यह एयरबेस भारत- पाकिस्तान सीमा से महज 220 किमी दूर है। इसे सबसे पुराने एयरबेस होने का गौरव भी प्राप्त है, जो करीब एक सदी पुराना है। यहां 1919 में रॉयल एयरफोर्स की 99वीं स्क्वाड्रन अस्तित्व में आई थी।