पुरखों द्वारा दिया गया जीवनमंत्र है उत्तराखंड का लोक पर्व हरेला - सच्चिदानंद शर्मा पोखरियाल  

गाज़ियाबाद। सृष्टि में प्रकृति के बिना जीवन की कल्पना ही नहीं की जा सकती है, यदि  धरती पर जीवन को बचाना है तो उसकी पहली शर्त यही है कि प्रकृति को बचाए रखना होगा। जो प्रकृति हमें प्राणवायु से लेकर भोजन के लिए पोषक तत्वों को प्रदान करती है,भावी पीढ़ी उस प्रकृति का संरक्षण कर सके इसके लिए हमारे पूर्वजों ने हरेला की नींव रखी होगी जो उत्तराखंड का प्रमुख लोक पर्व बन गया है। प्रकृति से प्रेम तथा इसी प्रकृति को आत्मसात कर इसमें रचने बसने का भाव ही है देवभूमि उत्तराखंड का हरेला पर्व  पहाड़ी प्रदेश उत्तराखंड का लोकमानस प्रकृति में ही रचता बसता है। यहाँ का जनजीवन सदैव से प्रकृति के प्रति संवेदनशील रहा है यही कारण है कि उत्तराखंड की देवभूमि से ही वृक्षों को बचाने के लिए चिपको जैसे विश्वव्यापी जन आंदोलन ने जन्म लिया।विराट हिमालय और मां गंगा जैसे पावन जल की कोख से जन्मा उत्तराखंड की लोक-कला, रीति-रिवाज, संस्कृति, खान-पान, मेले-उत्सव, परंपराओं में प्रकृति का नैसर्गिक सौंदर्य विद्यमान हैं।अपने जल ,जंगल व जमीन में उत्तराखंडियों के प्राण बसते हैं इसीलिए जल, वृक्ष और वन हमारी पूजा-अर्चना के माध्यम हैं।                                                                                हरेला भी एक ऐसा ही पर्व है। धरती को हरियाली से सजाने का पर्व। हरियाली का उत्सव, खुशहाली का संदेश, घर-घर में पूजा स्थलों पर हरियाली उगाई जाती है, प्रसाद के रूप में वितरण की जाती है। हरियाली के संदेश को जन जन तक पहुंचाने का ये अद्वितीय अनुष्ठान है। हरेला लोक पर्व के उपलक्ष्य में कल उत्तराखंड समाज महासंघ गाजियाबाद के अध्यक्ष एवं पूर्व राज्य मंत्री सच्चिदानंद शर्मा के साथ समाज के वरिष्ठजनों ने मिलकर नंद ग्राम एवं इंदिरापुरम में वृक्षारोपण का कार्य किया  जिसमें  टी डी जोशी ,  श्याम सिंह बिष्ट, श्रीमती तारा जोशी , सागर रावत ,अनीता फर्त्याल, मोहन सिंह रावत ,दिनेश बडोला ,चंपा मनराल , राधा रावत ,आशीष नेगी, दिनेश पंत ,कुलदीप रावत ,अशोक कुमार, सुबोध कोटनाला, मेहरबान सिंह रावत , मंजू मैखुरी आदि मुख्य समाजसेवियों ने भाग लिया । हरेला पर्व पर उत्तराखंड समाज महासंघ के अध्यक्ष सच्चिदानंद शर्मा ने गाजियाबाद में स्थित उत्तराखंड समाज की अपनी सभी सहयोगी सामाजिक संस्थाओं से आने वाले प्रत्येक वर्षों में उत्तराखंड के लोक पर्व हरेला के उपलक्ष में वृक्षारोपण  करने का आह्वान किया । हरेला पर्व पर उपस्थित सभी समाजसेवियों ने गाजियाबाद को हरा भरा बनाने का भी संकल्प लिया।