नोएडा। लौक डाउन के दौरान दुकानों और कारखानों में कार्यरत कर्मचारियों एवं मजदूरों को अत्यंत कष्टकारक एवं विपरीत परिस्थितियों का सामना करना पड़ा ,वे दिग्भ्रमित थे कि जब सारे कार्यालय आदि बंद हैं तो वे अपना दुखड़ा कहां रोएं और शिकायत कहां दर्ज कराएं । एम् के जोशी पूर्व सहायक श्रमायुक्त उत्तर प्रदेश ने बताया कि मुझे श्रम विभाग से सेवानिवृत्त हुए पांच वर्ष से अधिक हो गए हैं परन्तु नामालूम कैसे गूगल से सर्च करने पर मेरा मोबाइल नं अभी भी प्रदर्शित होता है । इस दौरान मेरे मोबाइल पर मजदूरों की शिकायतें निरंतर आनी शुरू हो गई । दिन में पांच से छः शिकायतों औसतन आने लगी , प्रारंभ में मुझे कुछ असहज महसूस हुआ परंतु फिर मजदूरों की दुर्दशा के समाचार देख एवं सुनकर मैंने उन्हें आवश्यक जानकारी एवं मार्गदर्शन देना प्रारंभ कर दिया । कदाचित यह सुनकर कि मैं रिटायर हो गया हूं , शिकायतकर्ता निराशा में फोन काट लेता था तो मैंने तुरंत कौलबैक कर उसकी समस्या सुनकर उसे उचित परामर्श दिया । कभी कभी घरवाले भी बार बार फोन आने से झुंझला उठते तो मैंने उन्हें समझाया कि दो मिनट अपना समय देकर मैं किसी परेशान व्यक्ति की मदद कर सकता हूं तो वर्तमान कोरोनाकाल में यह हमारे लिए सौभाग्य का विषय होगा ।उन्होंने आगे कहा कि मूझे इन मजदूरों की व्यथा सुनकर उनका मार्गदर्शन करने में आत्मसंतुष्टि मिलने लगी । मैं उन्हें जिलाधिकारी कंट्रोल रूम तथा कोविड / श्रमिक हैल्पलाइन नं , जिसकी जानकारी उन्हें नहीं होती थी , से अवगत कराते हुए वहां शिकायत दर्ज कराने का सुझाव भी देता रहा । कई लोग लाभान्वित हुए और अनलौक होने के बाद अब शिकायतों का दैनिक औसत घट कर अब एक या दो रह गया है , आज अभी भी एक शिकायत आई थी । इस दौरान अधिकतर शिकायतें लौकडाउन अवधि का वेतन भुगतान न होने , लौकडाउन के कारण नौकरी से निकाले जाने , अपने गांव जाने की व्यवस्था कराने आदि से संबंधित थीं ।मेरा अनुरोध है कि आपत्ति काल की इस अवधि में यदि हम किसी की सहजता से मदद कर सकते हैं तो मानवीय दृष्टिकोण से हमें पीछे नहीं रहना चाहिए ।
अतिआवश्यक कार्य पर ही घर से निकलें , मास्क जरूर पहनें और सामाजिक दूरी का पालन करते हुए कोरोनावायरस का विनाश करने में सहभागी बनें ।
लौक डाउन के दौरान कर्मचारियों एवं मजदूरों को अत्यंत कष्टकारक एवं विपरीत परिस्थितियों का सामना करना पड़ा