(सुशील कुमार शर्मा,स्वतन्त्र पत्रकार)
गाजियाबाद। गाजियाबाद के नवरत्नों में शुमार देश के दिग्गज पत्रकार कुलदीप तलवार 90 वर्ष के हो गए हैं। लम्बे समय से अस्वस्थ हैं। कुछ वृद्धावस्था की बीमारियां हैं। घर में ही वह आजकल वाकर के सहारे चल पाते हैं। नजर कमजोर हो गई है। लेकिन उनका लिखना और पढ़ना अनवरत जारी है। कान की मशीन के बावजूद उंचा सुनते हैं। लेकिन उनकी स्मृतियों में अभी भी गाजियाबाद से जुड़ा इतिहास विस्मृत नहीं हुआ है। आप केवल पुराना कोई जिक्र छेड़िये उसकी पूरी कहानी वह अपने आप बता देंगे। वह मेरे (सुशील कुमार शर्मा, स्वतन्त्र पत्रकार) पिता वरिष्ठ पत्रकार श्याम सुंदर वैद्य "तड़क वैद्य" (1911-84) के अभिन्न मित्र रहे थे इसलिए उनका मुझसे पुत्रवत स्नेह है। उनके हवाले से मैंने बहुत सी ऐसी जानकारियां उजागर की है जिसकी किसी ने कल्पना भी नहीं की थी। मसलन फिल्म जगत के पहले महानायक कुंदन लाल सहगल जो अभिनेता और गायक थे 1940 के दशक में गाजियाबाद रेलवे में नौकरी करते थे और भूड भारत नगर में रहते थे। ऋषि कपूर व डिंपल की फिल्म बाबी के पूरे देश में तहलका मचाने वाले गीतकार शैलेन्द्र सिंह गाजियाबाद के शम्भू दयाल इन्टर कालेज के प्रिंसिपल रहे सक्सेना जी की बेटी के पुत्र हैं।
कुलदीप तलवार बताते हैं माडल टाउन ( एम. एम. एच. कालिज रोड) पर पंजाब एक्सपेलर के मालिक हरीश चंद्र शर्मा की कोठी के पास एक नरूला परिवार रहता था। जिनका बेटा जोगेन्दर सिंह बहुत हैंडसम था। उनके सामने शम्भू दयाल इंटर कालेज के तत्कालीन प्रिंसिपल सक्सेना जी का परिवार रहता था। जोगेन्दर और सक्सेना जी की बेटी की लव मैरिज हुई। जोगेन्दर मुंबई चला गया और प्रसिद्ध फिल्मकार वी. शांताराम का असिस्टेंट बन गया। उनकी सभी फिल्मों में वह सह नायक रहता था । उसी का बेटा शैलेन्द्र सिंह है। विदित हो कुलदीप तलवार के चाचा विभाजन से पहले से ही फिल्म इंडस्ट्री में सक्रिय थे। फिल्म नीलमपरी में उन्होंने दिग्गज अभिनेत्री गीता बाली के पिता का रोल किया था और फिल्म खुश्बू में अभिनेत्री श्यामा के पिता का रोल किया था। प्रसिद्ध फिल्मकार राजेन्द्र सिंह बेदी की फिल्म बदनाम में बलराज साहनी के विरुद्ध विलेन का रोल किया था। उनके छोटे भाई शक्तिमान तलवार की लिखी पटकथा पर सनी देओल की फिल्म "गदर-एक प्रेम कथा" व "गदर-2" देश में तहलका मचा चुकी है। शक्तिमान का बेटा भी स्टेंडअप कामेडियन है और उसके शो विदेशों में धूम मचा रहे हैं।
कुलदीप तलवार का परिवार 1947 के विभाजन के बाद गाजियाबाद आया था। वह भारत सरकार के भारतीय खाद्य निगम के महाप्रबंधक पद से सेवानिवृत्त हैं। देश के तमाम बड़े अखबारों में उनके लेख व साक्षात्कार छपते रहे हैं। विदेशी मामलों विशेष तौर पर पाकिस्तान, अफगानिस्तान, बंगला देश व पाक अधिकृत कश्मीर की राजनीति पर उनके विचार पूर्ण लेख राष्ट्रीय दैनिकों में छपते रहते हैं। वह बताते हैं उनका जन्म पाकिस्तान के खुशआब का है। मां हिन्दी का कायदा पढ़ी थीं इसलिए हिन्दी और उर्दू दोनों का ज्ञान था।वही काम आया। उन्होंने बताया कि अभिनेता अमरीष पुरी ने शक्तिमान से कहा था कि तुम्हारी उम्र तो ज्यादा नहीं है फिर फिल्म के इतने बेहतरीन उर्दू के डायलॉग कैसे लिखे। उस पर शक्तिमान ने बताया कि कुलदीप तलवार मेरे बड़े भाई हैं, इसमें उन्होंने मेरी मदद की। अमरीष पुरी ने शक्तिमान से कहा कि मुझे भाई साहब से जरूर मिलाना। फिर एक फिल्मी शादी में जब अमरीष पुरी और कुलदीप तलवार का मिलना हुआ तो उन्होंने उनका आभार व्यक्त किया।
पिछले काफी दिनों से मेरे मन में धर्मयुग के सम्पादक धर्मवीर भारती व टाइम्स ऑफ इंडिया के वरिष्ठ पत्रकार महावीर अधिकारी के गाजियाबाद से संबंध होने का सवाल कौंध रहा था। इसकी पुष्टि केवल कुलदीप तलवार जी से ही हो सकती थी। जब मैं उनका हालचाल पूछने उनके निवास पहुंचा तो उनका कुशलक्षेम पूछने के बाद मैंने जब इस संबंध में पूछा तो उन्होंने बताया कि "धर्मयुग" के सम्पादक धर्मवीर भारती इलाहाबाद के हैं।जब वह कीर्तन वाली गली में रहते थे तब वहां एक कोहली परिवार भी रहता था । जब कुलदीप तलवार की शादी हुई थी तो इसी कोहली परिवार के साले की गाड़ी में ही उनकी विदाई हुई थी । यह कोहली परिवार भी इलाहाबाद का था। धर्मवीर भारती की पहली पत्नी इसी परिवार की बेटी थी। उसकी एक बेटी भी थी जिसका नाम बंटी था। धर्मवीर भारती को अपनी पत्नी की एक सहेली से प्यार हो गया था। उन्होंने अपनी पहली पत्नी से तलाक लेकर दूसरी शादी अपनी पत्नी की सहेली से की जो कायस्थ परिवार से थी। कोहली परिवार के बेटे ने लोहिया नगर में लोहिया की स्टेच्यू के सामने नुक्कड़ की मार्केट के ऊपर एक होटल भी खोला था। महावीर अधिकारी के बारे में उन्होंने बताया कि वह टाइम्स आफ इंडिया में वरिष्ठ पत्रकार थे और गाजियाबाद में डासना गेट के सुक्खी मल मौहल्ले में रहते थे । उनका स्थानांतरण जब 1950 के दशक में मुंबई हो गया तो वह गाजियाबाद छोड़कर चले गए थे। हिंदी भवन के संस्थापक दिवंगत हर प्रसाद शास्त्री के पुत्र जितेन्द्र ने मुझे बताया था कि जब उनके पिता आखिरी समय में नई दिल्ली के गंगा राम अस्पताल में भर्ती थे तो महावीर अधिकारी किसी केंद्रीय मंत्री के साथ उन्हें देखने आए थे।