सनातन धर्म की स्थापना सबके ह्रदय वास्ते भगवान श्रीकृष्ण ने लिया अवतार -विपिन शास्त्री जी महाराज

हापुड़। ज़ब-ज़ब धरती पर अत्याचार, पापाचार और व्यभिचार बढ़ जाता है, मनुष्य अपने वास्तविक धर्म(मानव धर्म) को भूल कर अधर्म का मार्ग अपना लेता है, तब-तब मानव के ह्रदय में धर्म. की स्थापना करने के लिए धरती पर भगवान स्वयं साकार रूप में आकर अपने भक्तों को ज्ञान रूपी खड़ग से पापियों का नाश (दुर्गुणों का ह्रदय से नाश) करके सबको अध्यात्म का मार्ग प्रसस्त करते है। 

उक्त बातें श्री मुरारी सेवा चैरिटेबल ट्रस्ट के तत्वावधान में हापुड़ के आवास विकास कालोनी स्थित हर श्री नाथ मंदिर के नजदीक ग्राऊंड में चल रहे सात दिवसीय श्रीमदभागवत कथा के चौथे दिन व्यासपीठ पर आसीन पंडित विपिन शास्त्री जी महाराज ने कही। स्वर्ग से धरती पर गंगा अवतरण का विस्तार पूर्वक वर्णन किया। उन्होंने कहा कि भगवान का अवतार निमित मात्र होता है, किसी विशेष प्रयोजन के लिए होता है। 

कथा में उपस्थित भक्त समुदाय को सम्बोधित करते हुए शास्त्री जी ने कहा कि भाद्रपद कृष्ण अष्टमी तिथि की घनघोर अंधेरी आधी रात को रोहिणी नक्षत्र में मथुरा के कारागार में वसुदेव की पत्नी देवकी के गर्भ से भगवान श्रीकृष्ण ने जन्म लिया था। यह तिथि उसी शुभ घड़ी की याद दिलाती है और सारे देश में बड़ी धूमधाम से मनाई जाती है। 'द्वापर युग में भोजवंशी राजा उग्रसेन मथुरा में राज्य करता था। जिस कोठरी में देवकी-वसुदेव कैद थे, उसमें अचानक प्रकाश हुआ और उनके सामने शंख, चक्र, गदा, पद्म धारण किए चतुर्भुज भगवान प्रकट हुए। दोनों भगवान के चरणों में गिर पड़े। तब भगवान ने उनसे कहा- 'अब मैं पुनः नवजात शिशु का रूप धारण कर लेता हूं।


एक समय कंस अपनी बहन देवकी को उसकी ससुराल पहुंचाने जा रहा था। रास्ते में आकाशवाणी हुई- 'हे कंस, जिस देवकी को तू बड़े प्रेम से ले जा रहा है, उसी में तेरा काल बसता है। इसी के गर्भ से उत्पन्न आठवां बालक तेरा वध करेगा।' यह सुनकर कंस वसुदेव को मारने के लिए उतावला हो उठा। तब देवकी ने उससे विनयपूर्वक कहा- 'मेरे गर्भ से जो संतान होगी, उसे मैं तुम्हारे सामने ला दूंगी। बहनोई को मारने से क्या लाभ है?' कंस ने देवकी की बात मान ली और मथुरा वापस चला आया। उसने वसुदेव और देवकी को कारागृह में डाल दिया। भगवान श्रीकृष्ण के जन्म लेते ही तीनों लोकों के देवी-देवता आकर भगवान श्रीकृष्ण के बाल रूप का दर्शन कर धन्य-धन्य हो गए। भगवान श्रीकृष्ण जन्मोत्सव की सुन्दर झांकी भी निकाली गयी। कलाकारों के इस सुन्दर झांकी ने सभी भक्तों का मन मोह लिया।

          आज कार्यक्रम के मुख्य अतिथि माननीया श्रीमती पुष्पा देवी (नगरपालिका चेयरमैन, हापुड़) कथा में पधारी और कथा का रसपान किया। इनका स्वागत व्यास पीठ से किया गया। कथा के मुख्य यजमान श्री बृजेश शर्मा (परीक्षित) द्वारा व्यासपीठ पर आसीन पं. विपिन शास्त्री जी महाराज का फूल-माला और तिलक लगाकर उनका स्वागत किया गया। साथ ही मंचासीन सभी कलाकारों का तिलक लगाकर स्वागत किया गया। कार्यक्रम में सविता शर्मा, संदीप सिसोदिया, राजू शर्मा, शोभित अग्रवाल, मनीष कश्यप, सुदेश देवी, सविता पाल, पवन भाष्कर (सभासद), विनीत त्यागी(पूर्व सभासद), पवन कश्यप, राजू शर्मा, हरीश शर्मा, ओमदत्त त्यागी, राहुल त्यागी, सुशील वर्मा, के.पी.सिंह, पीयूष वर्मा, अमित गिरी और कपिल त्यागी सहित अनेक गणमान्य लोग उपस्थित रहे। भजन गायक कलाकारों ने श्रीकृष्ण जन्मोत्सव पर खूब बधाईयां गायी और साथ ही भक्तों ने भी नाच-गाकर खूब मिठाईयां बांटी। आरती-पूजन और प्रसाद वितरण के साथ आज के कार्यक्रम को विश्राम किया गया। मंच संचालन धुरन्धर चौहान ने किया।