रीढ़ है इस देह में कोई, जो हमें झुकने नहीं देती - डॉ योगेन्द्र दत्त शर्मा

गाज़ियाबाद। अमर भारती साहित्य संस्कृति संस्थान द्वारा आयोजित काव्योत्सव की अध्यक्षता करते हुए प्रख्यात नवगीतकार डॉ योगेन्द्र दत्त शर्मा ने कहा कि कविता की शक्ति व सौंदर्य उसकी निरपेक्षता में निहित है।जब कोई कवि प्रलोभन का शिकार हो सत्ता की चाकरी करने लगता है तो उसकी कविता बेअसर हो जाती है।उनके एक गीत की पंक्तियाँ कुछ यूँ रही जो श्रोताओं को बेहद पसंद आईं-

नम्रता, शालीनता, मृदुता 

मानते आए इन्हें गहना

मगर सीख नहीं पाए

अनाचार कोई सहना

रीढ़ है इस देह में कोई 

जो हमें झुकने नहीं देती

एक चिंगारी है कहीं भीतर

जो हमें चुकने नहीं देती

आग को बुझने नहीं देती।

ईस्ट मॉडल टाउन स्थित पंकज कुमार शर्मा एडवोकेट के कार्यालय पर संपन्न हुए इस आयोजन के विशिष्ट अतिथि मशहूर शायर अंजुम मोहम्मद कृष्ण ने अपना कलाम पेश करते हुए कहा कि सभी धर्म हमें नेकी की शिक्षा देते हैं, लेकिन हम उन शिक्षाओं को भुला कर अमानवीय व्यवहार करने लगते हैं।

चर्चित कवि-कथाकार व अनुवादक श्री विलास सिंह ने अपनी बात कुछ इस तरह बयान की-

शहर की गलियों में पसरा है अंधेरों का निज़ाम 

आइए दीवार पर मिल कर कोई नारा लिखें

पत्थरों के शहर में खिलते हैं पत्थर के ही फूल 

तितलियों का, रंग का, ख़ुशबूओं का किस्सा क्या लिखें।

संस्थान के संस्थापक डॉ धनंजय सिंह ने पिछले एक दशक से संस्थान द्वारा किए जा रहे प्रयासों की जानकारी दी।अध्यक्ष डॉ रमेश कुमार भदौरिया ने सभी का आभार व्यक्त किया।कार्यक्रम का संचालन संस्थान के महासचिव प्रवीण कुमार ने किया।काव्य उत्सव में काव्य पाठ करने वालों में देहरादून से आई कवयित्री रंजीता सिंह फलक, मशहूर चित्रकार डॉ लाल रत्नाकर, नेहा वेद, कमलेश त्रिवेदी फ़र्रूख़ाबादी, आशुतोष आज़ाद, उमेश कुमार, सुधेन्दु औझा, डॉ मनोज मोक्षेद्र, दिनेश दत्त शर्मा, नरेंद्र गोयल, सुरेश मेहरा, ममता सिंह राठौर, नरेंद्र नागर व सुनीता शर्मा ने खूब वाहवाही बटोरी।

इस अवसर पर परिंदे पत्रिका के संपादक ठाकुर प्रसाद चौबे, एडवोकेट अंकित शर्मा, समाजसेवी अवनीश पाठक व पुनीत श्रीवास्तव भी उपस्थित रहे।