समय के सद्गुरु के शरणागत होकर ही मनुष्य का उद्धार सम्भव -महात्मा मालिनी बाई

बनकिया/मैनपुरी।  अखिल भारतीय धार्मिक और सामाजिक संस्था मानव उत्थान सेवा समिति के तत्वावधान और पूज्य श्री सतपाल जी महाराज की प्रेरणा से ग्राम बनकिया में तीन दिवसीय महान सत्संग समारोह के पहले दिन जिला मैनपुरी प्रभारी महात्मा मालिनी बाई जी ने भजनों के माध्यम से कहा कि- कहा से आया, कहा है जाना, ढूंढ़ ले ठिकाना प्यारे, ढूंढ़ ले ठिकाना। इसी पते को बताने के लिए ये संत आएं हुए है। इस अविरल सत्संग की ज्ञानगंगा में गोता लगाओगे तो निश्चय ही आपका कल्याण होगा।

     जन समूह को सम्बोधित करते मालिनी बाई जी ने कहा कि बड़े भाग मानुष तन पावा, सुर दुर्लभ सद ग्रन्थन गावा। अर्थात ईश्वर की असीम कृपा से हमें यह देव दुर्लभ मनुष्य शरीर मिला है। उस परमात्मा के वादे को पूरा करना ही जीवन का उदेश्य होना चाहिए। भक्त, भक्ति और भगवान जीवन का सबसे महत्वपूर्ण विषय है। संसार के सभी मनुष्य भक्ति कर रहे है, नाना प्रकार से साधन, तप, तप, यज्ञ-हवन, व्रत और उपवास कर रहे है जो सब निरर्थक है। बिना भगवान के नाम को जाने भगवान की भक्ति संभव नहीं है। भगवान के साकार रूप में सद्गुरु ही होते हो जो भटके जीव को भगवान के सच्चे नाम का बोध कराकर व्यक्ति को सन्मार्ग पर लगाते है। भक्त अगर सद्गुरु की शरणागत होगा तो उसका कल्याण संभव है।

इसीक्रम में भक्त समुदाय को समुदाय को सम्बोधित करते हुए महात्मा उदय बाई जी ने कहा कि सत्संगत आधार साधो सतसंगत आधार रे। अर्थात जीवन का जो सार है वही है सत्संग। यह संत समागम कलयुग में दुर्लभ सम्पदा है जो हमें ईश्वर की कृपा से सुलभ हो रहा है। संत-समागम और हरि-कथा हमें दोनों ही प्राप्त हो रहा है। हम बड़े भाग्यशाली है। साध्वी जी ने कहा कि अगर हम काला चश्मा लगा ले तो हमें संसार भी काला ही दिखाई देगा। इसलिए आपको भक्ति करनी है तो समय के सद्गुरु के सानिध्य में जाकर ज्ञान और भक्ति का चश्मा ले और सत्संग श्रवण कर सद्गुरु के बताएं हुए मार्ग पर चलना है और अपना कल्याण करना है।

मंचासीन महात्मा मिथिलेश बाई जी ने अपने सत्संग विचारों और भजन माध्यम से बताया कि भगवान का नाम हर स्थिति और परिस्थिति में सुख को प्रदान करने वाला है। भगवान का नाम चाहे सुख में ले या दुःख में ले वह सदा सुखकारी ही होता है। जिस प्रकार मीठा खाने पर चाहे हम सुख में खाये या दुःख में वह हमेशा मिठास ही प्रदान करता है। उसी प्रकार भगवान का नाम सुखदायी है इसको जानकर भजन साधना करें और अपने जीवन का कल्याण करें।

अनेक तीर्थ स्थलों से पधारे आत्म अनुभवी संत-महात्मागणों का स्वागत श्रीमती सरोज देवी(ग्राम प्रधान बनकिया), प्रधानपति और संस्था के वरिष्ठ कार्यकर्ता अनिलेश कुमार, तुरशन पाल, ध्रुव सिंह, सोनेलाल, गुलाब सिंह, ज्योति, निर्मला, सुनैना, कुमारी मेनका, डोली और नीलम सहित अनेक गणमान्य लोगों नें फूल-मालाओं से स्वागत किया। साथ ही कार्यक्रम में पधारे बौद्ध धर्म के अनुयायी गुरु तीरथ भंते जी का भी स्वागत किया गया।कार्यक्रम में दिल्ली से पधारे भजन गायक कलाकार अमर दास और उनकी टीम ने अपने सुमधुर भजनों से सबको लाभान्वित किया और आसपास के सभी भक्तों ने सत्संग और हरि भजनों का पूरा लाभ उठाया। आरती-प्रसाद के साथ आज के कार्यक्रम को विश्राम किया गया। मंच संचालन धुरन्धर चौहान ने किया। कार्यक्रम प्रातः 11 बजे से प्रारम्भ  सायं 4 बजे और सायं 7 बजे से रात्रि 10 बजे रात्रि तक चला।