मेरठ। विद्युत नियामक आयोग के चेयरमैन पीवीवीएनएल और बिजेंद्र इंजीनियर्स एवं रिसर्च कंपनी के बीच हुए विद्युत खरीद अनुबंध को विविध स्वीकृति के लिए तीन मई को विद्युत नियामक आयोग में पिटीशन दाखिल हुआ था, जिसकी सुनवाई शुक्रवार को हुई। ऑनलाइन सुनवाई के जरिए विद्युत नियामक आयोग के चेयरमैन ने अनुबंध और उसकी शर्तों पर स्वीकृति दे दी है। इससे अब कूड़े से निकलने वाले आरडीएफ (प्लास्टिक वेस्ट) से बिजली बनाने का रास्ता साफ हो गया है। इस प्रोजेक्ट में भाजपा के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष डॉ. लक्ष्मीकांत वाजपेयी की अहम भूमिका रही है। आयोग में सुनवाई के दौरान पीवीवीएनएल के प्रबंध निदेशक अरविंद मल्लप्पा बंगारी, कंपनी के डायरेक्टर बिजेंद्र चौधरी और नवीन और अधिवक्ता अमरजीत राखरा मौजूद रहे। आयोग के चेयरमैन ने पीवीवीएनएल को भूड़बराल स्थित कूड़े से बिजली बनाने के संयंत्र तक नई विद्युत लाइन उपलब्ध कराने अथवा प्लांट को मौजूदा 33 केवी लाइन से जोडऩे का निर्देश दिया। कूड़े से बिजली बनाने का संयंत्र पूरी तरह तैयार है। अब बिजली अधिकारी निरीक्षण कर इसे ग्रिड से जोडऩे की कार्रवाई पूरी करेंगे। उम्मीद है कि एक माह के भीतर यह काम पूरा हो जाएगा। इसके बाद कचरे से बिजली बननी शुरू हो जाएगी। यहां पर एक मेगावाट बिजली का उत्पादन होगा। दावा किया जा रहा है कि इस संयंत्र के चालू होने से मेरठ को कचरे से आजादी मिलने का बड़ा रास्ता मिल जाएगा। मालूम हो कि कंपनी का नगर निगम से आरडीएफ लेने का अनुबंध पहले ही हो चुका है। नगर विकास विभाग और पीवीवीएनएल के बोर्ड ऑफ डायरेक्टर पहले ही स्वीकृति दे चुके हैं।
कूड़े से निकले RDF (प्लास्टिक वेस्ट) से बिजली बनाने का रास्ता साफ, अनुबंध को मिली स्वीकृति